जोधपुर.शहर वायु प्रदूषण के मामले में देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है ही. लेकिन अब यहां ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है. शहर के लाचू मेमोरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जूलॉजी विभाग के एक शोध में सामने आया है कि शहर के सबसे बड़े मथुरादास माथुर, एम्स और पॉश कॉलोनी आवासीय एवं औद्योगिक क्षेत्र में निर्धारित ध्वनि स्तर से कहीं ज्यादा प्रदूषण पाया गया है. इतना ही नहीं अस्पतालों के आस पास भी औधोगिक क्षेत्र जितना ध्वनी प्रदूषण पाया गया है.
करीब तीन साल तक हुए शोध के दौरान सुबह 8:00 से 10:00, दोपहर 12:00 से 2:00 और शाम 4:00 से 6:00 बजे तक अस्पताल, (Rising level of noise pollution in Jodhpur) आवासीय और औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण स्तर मापा गया. इसकी वजह इंडस्ट्रीज में बढ़ोतरी, वाहनों की बढ़ती संख्या और पेड़-पौधे घटने को माना जा रहा है.
अस्पतालों के आसपास ज्यादा ध्वनी प्रदूषण: ये शोध लाचू कॉलेज के प्राणी शास्त्र एवं पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पुनीत सारस्वत के निर्देशन में हुआ है. डॉ सारस्वत ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नियमानुसार रहवासी क्षेत्र में 55, अस्पताल क्षेत्र में 50 और औद्योगिक क्षेत्र में 70 डेसीबल के स्तर तक ध्वनि प्रदूषण को सामान्य माना जाता है. लेकिन शहर में इससे कहीं ज्यादा ध्वनि प्रदूषण का स्तर पाया गया है. अस्पताल के पास शाम 4 से 6 बजे के बीच इसका स्तर 72 डेसिबल दर्ज किया गया. डॉ सारस्वत का कहना है कि ध्वनि अपने निर्धारित मापदंडों से ज्यादा होने पर शोर बन जाती है. इसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण की तरह ही पड़ता है. इसकी वजह से अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की कमी के साथ-साथ ह्रदय से जुड़ी अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं.