जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि एक पैर में नि:शक्तता के कारण शरीर के अन्य हिस्से पर होने वाले प्रभाव को शारीरिक अक्षमता मानते हुए नियुक्ति से इनकार करना न्यायोचित नहीं है. नर्स ग्रेड द्वितीय और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता भर्ती को लेकर दायर रिट याचिकाओं को मंजूर करते हुए जस्टिस दिनेश मेहता ने रिपोर्टेबल जजमेंट में कहा कि लम्बे समय तक एक पैर में 40 प्रतिशत से अधिक नि:शक्तता यदि किसी के रहती है तो दूसरे पैर अथवा शरीर के अन्य हिस्सों पर स्वाभाविक रूप से उसका प्रभाव पड़ेगा.
दूसरे पैर अथवा शरीर के अन्य हिस्से पर आई इस सूक्ष्म नि:शक्तता के आधार पर याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति के लिए अयोग्य मानना उन्हें लोक सेवाओं में समान अवसर से वंचित करना होगा. हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि राज्य सरकार के मेडिकल बोर्ड से विधिवत जारी नि:शक्तजन प्रमाण पत्र ही नियुक्ति के लिए मान्य है. जब तक निशक्तजन प्रमाण पत्र उचित विधिक प्रक्रिया के माध्यम से निरस्त नहीं किया जाता है, तब तक उसे नहीं मानना विधिसम्मत नहीं है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने दोनों भर्तियों की निःशक्तजन वर्ग की वरीयता सूची संशोधित कर याचिकाकर्ताओं को चयन सूची में उचित स्थान देने के आदेश दिए हैं.