जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजस्थान पैरामेडिकल काउंन्सिल जयपुर को निर्देश दिये हैं, कि याचिकाकर्ताओं को 31 मार्च से पहले अस्थायी पंजीयन प्रमाण पत्र जारी करे साथ ही अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं की अभ्यर्थिता निरस्त नहीं करने का अंतरिम आदेश पारित किया है.
याचिकाकर्ता महेन्द्र और अन्य की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने याचिका पेश करते हुए पक्ष रखा. याचिका पेश कर बताया कि याचीगण ने महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, मेघालय से दो साल का ई.सी.जी. तकनीशियन कोर्स पूर्ण किया तत्पश्चात उन्होंने राजस्थान पैरामेडिकल कॉउन्सिल में पंजीयन हेतु अपने आवेदन पेश किया, लेकिन काउंसलर ने यह कहते हुए रजिस्ट्रेशन से इंकार कर दिया कि महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, मेघालय ने ऐसा कोई भी दस्तावेज पेश नहीं किया, जिससे जाहिर हो सके कि उसे मेघालय सरकार ने उक्त कोर्स चलाने की अनुमति दी हो.
याचीगण की ओर से बताया गया कि विश्वविद्यालय का गठन अधिनियम 2010 के तहत हुआ, तत्पश्चात उसे शिक्षा विभाग ने स्वीकृति जारी की और UGC ने भी मान्यता दे रखी है. ऐसे में याचीगण ने मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से योग्यता अर्जित की है. काउंसलर की ओर से भेजे गए पत्र का भी विश्वविद्यालय ने विस्तृत जवाब दिया है. राजस्थान पैरामेडिकल कॉउन्सिल का गठन 2014 में हुआ है और कॉउंसिल के रेगुलेशन 2014 अनुसार भी याचीगण पंजीयन होने योग्य है.