जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ग्राम सेवा सहकारी समितियों के कार्मिकों की कोविड-19 सुरक्षा को लेकर मुख्य सचिव, सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने नंदलाल की जनहित याचिका पर मुख्य सचिव, सहकारिता सचिव, रजिस्ट्रार सहकारी विभाग और 29 जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को नोटिस जारी करते हुए जुलाई के प्रथम सप्ताह में जवाब तलब किया है.
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राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष नन्दलाल ने अधिवक्ता अशोक चौधरी के जरिए जनहित याचिका पेश की. याचिका में बताया गया कि राजस्थान में 6722 ग्राम सेवा सहकारी समितियां ग्राम पंचायतों के स्तर पर कार्यरत है और 29 केन्द्रीय सहकारी बैंक जिला स्तर पर है. ये सहकारी समितियां गांवों में किसानों को फसली ऋण, खाद और बीज उपलब्ध करवाती है.
अधिवक्ता चौधरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में ये कार्मिक अपनी जान की परवाह किए बगैर किसानों को कर्ज और अन्य सुविधाएं दे रहे हैं, लेकिन राजस्थान सरकार इनको बायोमेट्रिक यंत्र उपयोग करने के लिए बाध्य कर रही है. ऋण देते समय बायोमेट्रिक यंत्र किसान और ग्राम सेवा सहकारी समिति के कार्मिक की ओर से उपयोग करना होता है, जिससे कोरोना संक्रमण की संभावना बहुत बढ़ जाती है.
गांवों में कोरोना संक्रमण फैला हुआ है. इस संक्रमण की वजह से अब 19 व्यवस्थापकों की मृत्यु हो चुकी है. संघ की ओर से ज्ञापन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि ई-मित्रों पर राजस्थान सरकार ने बायोमेट्रिक यंत्र का उपयोग बंद कर दिया है. केन्द्र सरकार ने भी बायोमेट्रिक यंत्र उपयोग में नहीं लेने के निर्देश दिए हैं.