जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि प्रस्तावित विभागीय जांच की आड़ में लंबे समय तक किसी भी कार्मिक को निलंबित नहीं रखा जा सकता है. संबंधित मामले में हाईकोर्ट ने याची के निलंबन आदेश (High court order in suspension case) को निरस्त करते हुए समस्त परिलाभ दिए जाने के दिए आदेश दिए हैं.
याचिकाकर्ता उदयपुर निवासी सुखलाल धाकड़ नर्सिंग टयूटर की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने रिट याचिका पेश कर बताया कि याचिकाकर्ता ने नर्सिंग टयूटर पद पर जीएनएम स्कूल ऑफ नर्सिंग, उदयपुर में पदस्थापित रहने के दौरान जीएनएम नर्सिंग कोर्स में अध्यनरत छात्रों के अंकों में हेराफेरी को लेकर जांच होने पर नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल विजयम्मा अजमेरा को दोषी माना. इसी प्रकरण को लेकर प्रिंसिपल को चार्जशीट भी मिली. इसी को लेकर प्रिंसिपल ने याची पर मानसिक प्रताड़ना की झूठी शिकायत की. इस पर कॉलेज की महिला उत्पीड़न कमेटी ने विस्तृत जांच कर रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में शिकायत झूठी पाई गई. बावजूद इसके, इसी प्रकरण को लेकर निदेशक (अराजपत्रित), चिकित्सा विभाग जयपुर ने प्रस्तावित विभागीय जांच के आधार पर याची को 8 मई, 2015 से निलंबित कर दिया. इस पर याची ने रिट याचिका दायर की.
पढ़ें:Pak Hindus return homeland: दो माह से अटारी बॉर्डर पर अटके पाक हिन्दुओं की वतन वापसी, केंद्रीय मंत्री शेखावत के प्रयासों से घर लौटे
याचिका की आरंभिक सुनवाई के बाद 26 मई, 2015 को हाईकोर्ट ने याची के निलंबन आदेश और कार्य मुक्ति आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार सहित कॉलेज से जवाब तलब किया. याची की ओर से बताया गया कि याची ने न तो महिला सहकर्मी को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और सीसीए नियम 1958 के नियम 18-ए के अनुरुप कॉलेज स्तर पर नियमानुसार गठित कमेटी ने याची को बाद जांच निर्दोष पाया. बावजूद इसके, महिला प्राचार्य के प्रभाव से याची को निलंबित किया गया जो विधि विरुद्ध और गैर कानूनी है.
पढ़ें:Mahangai Hatao rally of Congress : कांग्रेस की रैली के दौरान क्या रहेगी ट्रैफिक डायवर्जन की व्यवस्था..जाम से बचना है तो ध्यान दें
याची की ओर से बताया गया कि पिछले साढ़े छह साल से, बिना किसी चार्जशीट के, याची पर निलंबन की तलवार लटक रहीं है. जो गैर-कानूनी और सीसीए नियम 1958 के प्रावधानों के विपरित है. कॉलेज की प्रिंसिपल राज्य सरकार के नियमानुसार प्रिंसिपल पद पर योग्य नहीं है और नियुक्त नहीं हो सकती थी. इस बात की शिकायत करने पर महिला प्राचार्य के प्रभाव में आकर तत्कालीन आर एन सी के रजिस्ट्रार के दखल के कारण याची को निलंबित किया गया था.
याचिका के विचाराधीन होने के कारण याची को सेवा परिलाभों यथा चयनित वेतनमान इत्यादि से वंचित किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने याची की रिट याचिका स्वीकार करते हुए निलंबन आदेश सहित रिलीविंग आदेश को अपास्त करते हुए समस्त परिलाभ दिए जाने के आदेश दिए.