जोधपुर. एक आपराधिक मामले में लगातार तारीख पर तारीख मिलने पर अधिवक्ता गोवर्धन सिंह की ओर से फेसबुक पर लिखी गई पोस्ट को आपत्तिजनक बताते हुए न्यायिक अधिकारी की ओर से दर्ज करवाए गए अवमानना के मामले को राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी और न्यायाधीश रेखा बोराणा की खण्डपीठ ने कहा कि इस मामले में लिखी गई पोस्ट में ऐसा कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है, जो कि अदालत की अवमानना के दायरे में आता हो. इसलिए प्रतिवादी अधिवक्ता के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता.
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मामले के अनुसार पाली जिले के सोजत कस्बे में परिवादी सत्यप्रकाश माली की ओर से अधिवक्ता गोवर्धन सिंह ने एक आपराधिक मामले में परिवाद पेश किया था. जिस पर कोर्ट ने लगभग 25 बार तारीखें दी, जिस पर अधिवक्ता ने फेसबुक पर पोस्ट लिखी थी. जिसमें उन्होंने उल्लेख किया कि न्याय मांगने पर उनको केवल तारीखें मिली. उनकी पोस्ट पर कई अपरिचित लोगों ने कमेंट्स भी किए. जिस पर तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोजत गरिमा सौदा ने अधिवक्ता गोवर्धन सिंह व अन्य कमेंट्स करने वाले लोगों के खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की.
इस पर पूर्व में सुनवाई के दौरान खण्डपीठ ने नोटिस जारी किए थे. मुख्य न्यायाधीश कुरैशी की खण्डपीठ में इस पर सुनवाई हुई तो प्रतिवादी के रूप में अधिवक्ता गोवर्धन सिंह ने स्वयं अपना पक्ष रखते हुए न्यायालय को मामले की पृष्ठभूमि से अवगत करवाया. उन्होंने कहा कि कोर्ट के सामने केवल इतना ही प्रश्न था कि परिवादी की शिकायत को पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भेजना है अथवा नहीं. इसमें 25 बार स्थगन दिया गया. बाद में मामले की सुनवाई अन्य अदालत में स्थानांतरित की गई तब 26वीं तारीख पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए.