जोधपुर: राजस्थान उच्च न्यायालय ने प्रदेश के अस्पतालों की व्यवस्था को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को अहम निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि नर्सिंग और अराजपत्रित स्टॉफ के रिक्त पदों को भरने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाएं.
कोटा के जेके लोन में नियुक्त बायो-इंजीनियर और अस्पताल प्रबंधन विशेषज्ञ की तरह ही प्रदेश के अन्य प्रमुख अस्पतालों में भी बायो-इंजीनियर और अस्पताल प्रबंधन विशेषज्ञ नियुक्त करने के लिए कदम उठाएं. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ में विधायक संयम लोढ़ा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई में होईकोर्ट ने यह निर्देश दिए.
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सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा ने पिछले आदेश की पालना रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि कोटा के जेके लोन अस्पताल (JK Lone Hospital) में अब बेहतर व्यवस्था की गई है. वहां के फोटोग्राफस भी पेश किए गए. यह भी बताया गया कि जेके लोन अस्पताल में बायो-इंजीनियर और अस्पताल प्रबंधन विशेषज्ञ भी नियुक्त कर दिए गए हैं.
एएजी शर्मा ने बताया कि प्रदेश में नर्सिंग और अराजपत्रित कर्मचारी के कुल 68209 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 53010 पदों पर योग्य कर्मचारी नियुक्त हैं. 5120 रिक्त पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. कोविड को देखते हुए नर्सिंग और अराजपत्रित कर्मचारियों के 10000 पदों पर आकस्मिक आवश्यकता को देखते हुए भरने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.
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उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि कोविड की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने की प्रक्रिया पूरी करें. कोटा की तरह ही प्रदेश के अन्य प्रमुख अस्पतालो में भी बायो-इंजीनियर और अस्पताल प्रबंधन विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएं. राज्य सरकार की ओर से एएजी करण सिंह राजपुरोहित और निगम की ओर से अधिवक्ता राजेश पंवार ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि एमजीएच जोधपुर में सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए काम चल रहा है. अपेक्षित राशि स्वीकृत हो चुकी है. न्यायालय ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई पर 13 सितम्बर को प्रगति रिपोर्ट पेश करें.