जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की अदालत ने दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पिछले छह वर्षों से कार्यरत संविदा कार्मिक ईसीजी तकनीशियन और स्वास्थ्य मार्गदर्शक की सेवा समाप्ति के आदेशों के क्रियान्विति पर रोक लगाई है. साथ ही राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
चिकित्सा अधिकारी प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नावा शहर (जिला नागौर) के पद पर कार्यरत संविदा कार्मिक कैलाश बलदवाल और गोगराज जाट की ओर से अलग अलग रिट याचिकाए पेश कर बताया कि, याची कैलाश बलदवाल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नावा शहर में मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना में ईसीजी तकनीशियन पद पर दिनाक 12.11.2014 को संविदा पर नियुक्त किया गया था. वहीं गोगराज जाट को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नावा शहर में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में 'स्वास्थ्य मार्गदर्शक' पद पर दिनांंक 13.12.2015 को सविंदा पर नियुक्त किया गया था. दोनों अपनी संतोषजनक सेवाएं दे रहे थे और वर्तमान में कोरोना महामारी में पुलिस थाना नावां शहर के साथ नाकाबंदी में आदेश दिनांक 23.03.2020 के पालना में अपनी ड्यूटी कर रहे थे. दोनों को अचानक ही बिना किसी नोटिस और बिना सुनवाई के मौका दिए एक आदेश से सेवा से पृथक कर दिया.
ये पढ़ें:पूर्व IAS अशोक सिंघवी की जमानत अर्जी पर सुनवाई 29 जून तक टली
याचीगण के अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने बताया कि याची कैलाश बलदवाल को यह कहते हुए सेवा से पृथक किया गया कि, ईसीजी तकनीशयन का पद राजकीय अस्पताल में अनियमित और स्वीकृत नहीं है. जबकि निदेशालय ने आदेश दिनांक 04.02.2016 से यह आदेशित किया था कि, मुख्यमंत्री नि शुल्क जांच योजना मेंकार्यरत सविंदा कार्मिको को नियमित भर्ती होने तक रखा जाना है. बावजूद इसके मनमाने तरीके से अनियमित बताकर सेवा से पृथक करना गैर कानूनी और असंवैधानिक है.