जोधपुर.राजस्थान उच्च न्यायालय ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 22 के तहत जन उपयोगी सेवा के प्रावधानो में संशोधन करने एवं प्रदेश में 15 पूर्णकालिक स्थाई लोक अदालत में रिक्त चल रहे अध्यक्ष पद को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत सरकार, राज्य विधि विभाग के प्रमुख सचिव,राजस्थान उच्च न्यायालय व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है.
याचिकाकर्ता एडवोकेट वीडी दाधीच की ओर से अधिवक्ता अनिल भंडारी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि उपभोक्ता आयोगों में बढ़ते हुए प्रकरणों को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2002 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम में संशोधन करते हुए धारा 22 ए जोड़ते हुए जन उपयोगी सेवा के तहत 6 सेवाओं के बाबत प्रकरणों को 10 लाख रुपए तक की सीमा तक शामिल करते हुए इन्हें राजीनामा से निपटाने का प्रावधान किया और यह भी अधिकार दिया कि राजीनामा नहीं होने पर स्थाई लोक अदालत गुणावगुण आधार पर फैसला करेगी.
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उन्होंने कहा कि राज्य में पूर्व में हर जिले में अंशकालीन अदालतों का गठन किया गया जो कि माह में सिर्फ दो बार सुनवाई करती थी. वर्ष 2015 में अजमेर, भरतपुर, बीकानेर, जयपुर महानगर, जोधपुर महानगर, कोटा और उदयपुर में पूर्णकालीन स्थाई लोक अदालतों का गठन किया गया. तदोपरांत 13 और जगह इसका गठन किया गया. राज्य सरकार ने जनवरी 2015 में तीन और सेवाएं शामिल की. मार्च 2015 में भारत सरकार ने वित्तीय सीमा को दस लाख से बढाकर एक करोड़ रुपए कर दिया व 2016 में दो और सेवाओं को भारत सरकार ने इसमें शामिल किया.