जोधपुर.राजस्थान की राजनीति में मारवाड़ के जाट वोट बैंक की अहमियत को हमेशा से राजनीतिक दलों ने करीब से समझा है. यही वजह है कि जब अटल बिहारी वाजपेयी ने जाट जाति को ओबीसी में शामिल किया, तो राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई. इसके बाद कभी भी किसी मंत्रिमंडल में मारवाड़ के जाट नेताओं को दरकिनार करना किसी भी राजनीतिक दल के लिए मुमकिन नहीं है. इन दिनों मारवाड़ की राजनीतिक में जुबानी हमलों का दौर परवान पर है.
इस बीच परंपरागत मदेरणा परिवार और अपनी पार्टी के लिए जमीन तलाशते हनुमान बेनीवाल के बीच इशारों-इशारों में निशाने साधने की कवायद परवान चढ़ रही है. जाहिर है कि राजस्थान अब पूरी तरह से इलेक्शन मोड में आ चुका है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. योजनाओं से लेकर एक-दूसरे पर विफलताओं के आरोप लगाने का सिलसिला भी इसी कवायद का एक हिस्सा है. ऐसे में यह कहना बेमानी नहीं होगा कि कद्दावर मदेरणा परिवार आक्रमक रूख अख्तियार करके ना सिर्फ स्थापित जाट चेहरों को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है, बल्कि खुद के लिए आधार को मजबूत करने की कोशिश भी कर रहे हैं.
हाल ही में दिव्या मदेरणा ने नागौर जिले के खींवसर विधानसभा दौरे पर एक कार्यक्रम में जिस तरह से बात की, वह यह साफ करता है कि दिव्या अपने दादा परसराम मदेरणा की राजनीतिक विरासत को ना सिर्फ संभालने की तैयारी में है, बल्कि उसे ऊपरी पायदान पर ले जाने का मानस भी बना चुकी हैं. दिव्या मारवाड़ के दिग्गज जाट राजनैतिक परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में राजनीति के मैदान में हैं. उनका सबसे बड़ा सहारा दादा स्व परसराम मदेरणा व पिता स्व महिपाल मदेरणा का नाम है. हाल ही में सोशल मीडिया पर अपने नाम के साथ पिता महिपाल का नाम भी जोड़ा है.
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राजनीतिक टेंपरेचर नापने पर पर बढ़ी तकरार: दिव्या ने हाल ही में नागौर जिले के खिंवसर का दौरा (Divya Maderna Nagaur visit) किया. खींवसर रालोपा नेता हनुमान बेनीवाल का गढ़ माना ता है. यहां पर पांचोडी गांव में दिव्या ने यह कह कर सबको चौंका दिया कि पिछली बार जब यहां थीं, तो राजनीति का टेंपरेचर नापने आई थीं और नाप भी लिया था. अब आपरेशन करने आई हैं, तो करके ही जाऊंगी. इसका आगाज भी कर दिया है. यानी सीधे-सीधे बेनीवाल को चुनौती. दिव्या ने नागौर के मिर्धा नेताओं के पिछड़ने की बात कही थी. हालांकि इसके बाद बेनीवाल ने भी पलटवार किया और कहा था कि जिन्होंने उनके दादा और पिता का इलाज किया, पहले उसका आपरेशन (Beniwal hits back at Divya Maderna) करे. बेनीवाल ने तो दिव्या की जीत में भी अपना योगदान बताया. दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंता गत पंचायत चुनाव के बाद उभरी है. जिसमें खुलकर एक दूसरे को लेकर बयानबाजी हुई. लेकिन अब सार्वजनिक रूप से आमने-सामने आ गए हैं.