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Rajasthan Highcourt: वन्यजीव अभ्यारण्य में संसाधनों की कमी को लेकर जनहित याचिका, सरकार ने कहा- समय-समय पर संसाधन करवाए जाते हैं उपलब्ध

वन्यजीव अभ्यारण्य में संसाधनों की कमी को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) में जनहित याचिका दायर की गई है. सरकार ने कहा कि समय- समय पर संसाधन उपलब्ध करवाए जाते हैं.

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Published : Nov 18, 2021, 7:47 PM IST

Rajasthan Highcourt,  Wildlife Sanctuary
वन्यजीव अभ्यारण्य में संसाधनों की कमी को लेकर जनहित याचिका

जोधपुर. प्रदेश के वन्यजीव अभ्यारण्य में संसाधनों की कमी के चलते उनकी पूर्ति करवाने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan Highcourt) में पेश याचिका पर सुनवाई की गई है. इ. दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश कर दिया गया जिसमें बताया गया कि राज्य सरकार समय-समय पर संसाधन व अन्य उपकरण उपलब्ध करवा रही है. वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई और न्यायाधीश अनूप कुमार द्वंद की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता अधिवक्ता रितुराज सिंह राठौड की याचिका पर सुनवाई हुई.

याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया था कि एक जनहित याचिका पेश कर बताया गया कि वन विभाग के पास संसाधनों का अभाव है जबकि राज्य सरकार पर्यटन के जरिए लाखों रुपये आय कर रही है. याचिका में बताया गया कि मारवाड के जंगल जिसमें रावली टाडगढ़ वन्य जीव अभ्यारण एवं कुम्भलगढ वन्य जीव अभ्यारण में टाइगर बसाने का प्रोजेक्ट है. जबकि वन विभाग के पास तीन से पांच गुना तक संसाधन कम हैं.

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इस पर न्यायालय (Rajasthan Highcourt) ने राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह को निर्देश दिए थे कि वन विभाग में उच्च अधिकारी से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारियों की वर्तमान स्थिति को लेकर आंकडे़ पेश करें. वहीं संसाधनों की स्थिति भी मांगी थी. राज्य सरकार की ओर से एएजी शाह ने अतिरिक्त शपथ पत्र के साथ जवाब पेश कर दिया जिसमे बताया गया कि वन विभाग के पास पर्याप्त संसाधन है जबकि बुनियादी ढांचे के लिए जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए वे पूरी हैं. आवश्यकता पड़ने पर समय समय पर संसाधन दिये जाते हैं.

इस पर याचिकाकर्ता अधिवक्ता राठौड़ ने बताया कि 12 रेंज मे केवल पाच वाहन है जबकि सात की कमी है ऐसे कई तथ्य पेश किये और रिजोइंडर के लिए समय देने का अनुरोध किया. जिस पर न्यायालय ने अगली सुनवाई दस दिन बाद मुकरर्र की है.

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