जोधपुर.एक ओर राज्य सरकार निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों के निशुल्क उपचार की वकालत कर रही है. इसके अलावा जांच शुल्क भी नियंत्रित कर दिया गया है. लेकिन दूसरी और होम क्वॉरेंटाइन किए गए कोविड मरीजों की दवाइयां तक सरकार निशुल्क उपलब्ध नहीं करवा रही है.
दरअसल, मुख्यमंत्री के गृहनगर में लंबे समय से लोगों को होम क्वॉरेंटाइन के लिए प्रेरित कर घर पर ही रखा जा रहा है. बावजूद इन सभी मरीजों को अपनी दवाइयां खुद ही खरीदनी पड़ रही हैं. इतना ही नहीं दवाइयों के साथ-साथ शरीर में ऑक्सीजन की जांच के लिए पल्स ऑक्सीमीटर भी खरीदने पड़ रहे हैं. जिसकी रिपोर्ट सुबह शाम संबंधित डॉक्टर को फोन कर मरीज ही बता रहे हैं.
इतना ही नहीं घर पर रहने वाले मरीजों की दोबारा जांच की व्यवस्था खत्म कर दी गई है. उन्हें किसी तरह का डिस्चार्ज नहीं मिलता है. आश्चर्य की बात यह है कि सीएम के शहर में माकूल व्यवस्थाओं का दावा करने वाले प्रशासन की पोल उस समय खुल जाती है जब ठीक हुए एक मरीज ने बताया कि जिस बीएलओ और डॉक्टर को देखरेख की जिम्मेदारी दी गई थी वो दोबारा कभी आए ही नहीं. भीतरी शहर के खेतरपाल चबूतरा निवासी दर्शन लूणावत ने बताया कि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. उसके बाद डॉक्टर ने पर्ची भेजी की यह दवाइयां मगवा ले और सुबह शाम तापमान की रिपोर्ट भेजते रहें.