बिलाड़ा (जोधपुर).'छः दस हौवे छालियां, एक भलेरौ ऊॅट, खेज़ड़ होवै खेत माँय, तौ काल काढ़ द्यू कूट' मारवाड़ी में इन पंक्तियां का भावार्थ है कि अगर पर्यावरण और पेड़-पौधे सुरक्षित रहेंगे तो बड़े से बड़ा अकाल व विपदा का सामना इंसान आसानी से कर सकता है. जीव-जंतुओं की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए पाली सांसद पीपी चौधरी ने विभिन्न समस्याओं के निदान के लिए केन्द्रीय वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत और वन मंत्री सुखराम विश्नोई को एक पत्र लिखकर पर्यावरण संरक्षण कानून को और सख्त करने की जरूरत बताई है.
पत्र में सांसद ने बताया कि घटते जंगलों का सबसे बड़ा कारण भू-माफिया द्वारा किया जा रहा अतिक्रमण है. लोग जंगलों के किनारे खेती करते हुए आगे बढ़ना शुरू कर देते हैं और आगे बढ़ते चले जाने के बाद राजस्व संस्थाए उनकी भूमि का रजिस्ट्रेशन कर लेती हैं. ऐसे में जंगल छोटे होकर सिमटते जा रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि वह साधारण अतिक्रमण और जंगल की जमीन पर किए जा रहे अतिक्रमण के लिए अलग-अलग कानून बनाए, जिसमें सख्त सजा के प्रावधान वाले कानून हों. जिससे जंगलों को बचाया जा सकता है.
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वन्य जीव-जंतुओं की बढ़ते शिकार मामलों पर सांसद ने लिखा कि पूरे देश भर में राजस्थान शिकार की क्रुर घटनाओं में दूसरा स्थान रखता है. राजस्थान में शिकार की घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिसका एक मात्र कारण शिकारियों की स्थानीय प्रशासन के साथ मिलीभगत से उनके हौसले बुलन्द होते हैं. कई बार पर्यावरण प्रेमियों द्वारा शिकारियों को रोकने का प्रयास किया जाता है, तो उन पर हमला किया जाता है या उन पर फर्जी मुकदमों में फसाने का प्रयास प्रशासन के सहयोग से किया जाता है. ऐसे कई मामले सामने भी आए हैं. शिकारियों को शिकार और हथियार के साथ पकड़े भी जाते हैं. मौके पर शिकार हुए वन्य जीव का पोस्टमार्टम भी होता है. लेकिन शिकारी कानून में कमी का फायदा उठाकर खुले में घुमते रहते हैं.