जोधपुर. शहर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित वसुंधरा हॉस्पिटल में एक प्रसूता और उसके जुड़वा नवजात की मौत के बाद हंगामे का मामला सामने आया है. परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल की लापरवाही से दोनों की जान गई. मृतका के पति ने इस संदर्भ में पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है.
पुलिस रिपोर्ट में मृतका के पति ने आरोप लगाया कि अंतिम समय तक डॉक्टर उसे बचाने की बजाय एक लाख रुपए जमा करवाने पर जोर दे रहे थे. जिसको लेकर मंगलवार सुबह अस्पताल में हंगामा भी हुआ. जानकारी के अनुसार, 33 वर्षीय दीपा का गर्भावस्था में उपचार वसुंधरा अस्पताल की डॉक्टर रेनू मकवाना के पास चल रहा था. सोमवार को वह नियमित जांच के लिए आई, तो जूनियर डॉक्टर्स ने उसकी जांच की और सबकुछ सामान्य बता घर जाने को कहा. जब जूनियर डॉक्टर ने रेनू मकवाना को रिपोर्ट भेजी, तो उन्होंने फोन पर कहा कि इन्हें तुरंत भर्ती करें, स्थिति गंभीर है. जिस पर दीपा के पति चंदन सिंह ने पूछा कि 5 मिनट पहले सब कुछ सामान्य था, अचानक गंभीर कैसे हो गया? तो डॉक्टर ने कहा कि हम ज्यादा समझते हैं, आप दस हजार रुपए जमा करवा दीजिए. पैसे जमा करवा चंदन ने पत्नी को भर्ती करवा दिया.
1000 मिली ग्राम का इंजेक्शन देने का आरोप
चंदन का आरोप है कि भर्ती करवाने के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने उसकी पत्नी को 1000 एमजी का एक एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाया. जिसके बाद उसकी तबीयत धीरे-धीरे खराब होने लगी. जब भी डॉक्टर से पूछा तो उनका कहना था, सब सही है आप चिंता नहीं करें. लेकिन इस दौरान सीनियर डॉक्टर अस्पताल नहीं आईं. शाम होते-होते दीपा के शरीर पर लाल निशान होना शुरू हो गए.