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जोधपुरः नागरिक संशोधन बिल के विरोध में मुस्लिम संगठनों का प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

जोधपुर के जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द और अन्य मुस्लिम संगठन की ओर से शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया गया. इस दौरान जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने जोधपुर जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर बिल को निरस्त करने की मांग की. संगठन के जिला अध्यक्ष मोहतमिम ने बताया कि यह बिल मुस्लिम समाज के लिए नुकसानदायक है.

जमीयत उलेमा ए हिन्द, Jamiat Ulema A Hind
जमीयत उलेमा ए हिन्द

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Published : Dec 13, 2019, 8:35 PM IST

जोधपुर. जिले के जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द और अन्य मुस्लिम संगठन की ओर से शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया गया. मुस्लिम समुदाय के संगठनों की ओर से रैली निकाल कर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और परिसर के बाहर नागरिक संशोधन बिल के विरोध में जमकर प्रदर्शन किया गया. इस दौरान जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने जोधपुर जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर बिल को निरस्त करने की मांग की.

नागरिक संशोधन बिल के विरोध में मुस्लिम संगठनों का विरोध-प्रदर्शन

संगठन के जिला अध्यक्ष मोहतमिम ने बताया कि यह बिल मुस्लिम समाज के लिए नुकसानदायक है. उन्होंने बताया कि इससे आपसी सौहार्द खराब होगा, ऐसे में इस बिल को तुरंत रूप से निरस्त किया जाए. जिलाध्यक्ष ने बताया कि इसमें अनुच्छेद-14 का उल्लंघन किया गया है, जिससे की समानता के अधिकार को खत्म होने का खतरा है. उन्होंने कहा कि ऐसे में इस बिल को बिल्कुल निरस्त किया जाए.

बाड़मेर में CAB के विरोध में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

CAB के विरोध में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

बाड़मेर में शुक्रवार को नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद मुस्लिम संगठन के लोगों ने जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर बिल को वापस लेने की मांग की. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के सदस्यों और समर्थकों ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए बताया कि हम इस कानून की निंदा करते हैं क्योंकि यह विधेयक भारत की नागरिकता के लिए धर्म को कानूनी आधार बनाता है.

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उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य 3 पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले उत्पीड़ित अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देना बताया गया है, लेकिन यह विधेयक धर्म के आधार पर उन में भेदभाव करता है. उन्होंने कहा कि इससे धर्म के आधार पर नागरिकता को विभाजित करने की मंशा स्पष्ट प्रतीत हो रही है. संगठन के लोगों ने राष्ट्रपति से अपील करते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की.

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