जोधपुर.देश के 736 बांधों को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को बड़ा फैसला लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने डैम रिहैबिलिटेशन एंड इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट (DRIP) के चरण 2 और 3 को मंजूरी दी. यह परियोजना विश्व बैंक और एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक की वित्तीय सहायता से चलाई जाएगी. 10,211 करोड़ की परियोजना की अवधि 10 वर्ष की रहेगी.
देश के 736 बांधों पर सरकार का बड़ा फैसला केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नई दिल्ली में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान मंत्रिमंडल के निर्णय की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अमेरिका और चीन के बाद सबसे ज्यादा 5334 बड़े बांध भारत में हैं. 411 बांध वर्तमान में निर्माणाधीन हैं. इन बांधों में से 80 प्रतिशत बांध 25 साल से ज्यादा उम्र के हो चुके हैं. बांधों के रख-रखाव को लेकर जिस तरह गंभीरता की आवश्यकता है, जब बांध बने थे और आज तक तकनीक में परिवर्तन हुआ है, इसलिए इन बांधों के रिहैबिलिटेशन की आवश्यकता महसूस की जा रही थी.
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केंद्रीय मंत्री ने बताया कि चयनित बांधों की सुरक्षा और परिचालन में सुधार होगा. प्रणाली के व्यापक प्रबंधन दृष्टिकोण के साथ संस्थागत सुदृढ़ीकरण किया जाएगा. परियोजना में सर्वाधिक 189 बांध राजस्थान, 167 महाराष्ट्र, 59 तमिलनाडु, 41 कर्नाटक, 39 उत्तर प्रदेश समेत देशभर के 736 बांध शामिल हैं. इन बांधों के व्यापक पुनर्वास की परिकल्पना की गई है.
उन्होंने बताया कि पहला चरण 6 साल का होगा. इसमें अप्रैल 2021 से मार्च 2031 तक दो वर्षों की ओवरलैपिंग अवधि शामिल है. कुल परियोजना लागत में बाहरी वित्तीय निधि 7,000 करोड़ है. शेष 3,211 करोड़ संबंधित कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा वहन किए जाएंगे. केंद्र सरकार का योगदान ऋण देयता के रूप में 1,024 करोड़ है. केंद्रीय घटक के हिस्से के रूप में (काउंटर-पार्ट फंडिंग) 285 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी.
परियोजना का उद्देश्य...
- चयनित मौजूदा बांधों और संबंधित परिसंपत्तियों की सुरक्षा और प्रदर्शन में स्थाई रूप से सुधार.
- भाग लेने वाले राज्यों के साथ-साथ केंद्रीय स्तर पर बांध सुरक्षा से संबंधित संस्थागत व्यवस्था को मजबूत करना.
- कुछ चयनित बांधों में वैकल्पिक साधनों का पता लगाना, ताकि बांध के स्थाई संचालन और रख-रखाव के लिए अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति हो सके.
ये होगा हासिल...
- बांधों और संबंधित परिसंपत्तियों का पुनर्वास और सुधार.
- प्रतिभागी राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों में बांध सुरक्षा के लिए संस्थागत मजबूती.
- कुछ चयनित बांधों में वैकल्पिक साधनों का पता लगाना, ताकि बांध के स्थाई संचालन और रख-रखाव के लिए अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति की जा सके और परियोजना प्रबंधन.