जोधपुर. कोरोना की दूसरी लहर ने कहर ढा रखा है. अकेले जोधपुर शहर में ही रोजाना 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. श्मशान में भी वेटिंग चल रही है. शहर में सभी जातियों के अलग-अलग मोक्षधाम होने की वजह से अंतिम संस्कार के लिए भी लोग भटक रहे हैं. ऐसी विपरीत परिस्थिति में हिंदू सेवा मंडल के बाद अब माहेश्वरी समाज ने भी अपने मोक्ष धाम सभी जातियों के अंतिम संस्कार के लिए खोल दिए हैं.
माहेश्वरी समाज ने सभी जातियों के लिये खोला मोक्ष धाम माहेश्वरी समाज की पहल
कई जातियों के मोक्ष धाम में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी कराने के लिए कोई स्थाई कर्मचारी नहीं है. कोरोना महामारी की वजह से लोग आगे भी नहीं आ रहे हैं. ऐसे में नगर निगम प्रशासन ने सभी जातियों के मोक्ष धाम की व्यवस्थाओं को लेकर बैठक का आयोजन किया. जिसके बाद माहेश्वरी समाज ने यह नेक पहल की है.
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मोक्षधाम में सभी व्यवस्थाएं
माहेश्वरी समाज के सचिव नंदकिशोर शाह ने बताया कि वे इसके लिए सरकार से किसी तरह का अनुदान भी नहीं लेंगे. माहेश्वरी समाज के मोक्ष धाम में लकड़ी का पर्याप्त स्टॉक किया गया है. नए चिता स्थल भी तैयार करवाए गए हैं. अंतिम संस्कार को लेकर कोरोना संक्रमित किसी भी परिवार को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. प्रतिक्षा स्थल में पंखे भी लगाए जा रहे हैं.
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विद्युत शवदाहगृह की तैयारी
माहेश्वरी समाज के सचिव ने बताया कि हमारा प्रयास है कि अगले महीने यहां विद्युत शवदाह गृह(Electric crematorium) बनाया जाए. इसके लिए कंपनी से बात हो गई है. जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. जोधपुर में फिलहाल ओसवाल समाज का एक ही विद्युत शवदाह गृह है. प्रशासन के निर्देश पर यहां सभी जातियों के शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. माहेश्वरी समाज ने उम्मेद अस्पताल के सामने स्थित अपनी एक बड़ी धर्मशाला भी चिकित्सा विभाग को क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाने के लिए देने की पहल की है.
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हिंदू सेवा मंडल का भी सहयोग
माहेश्वरी समाज से पहले हिंदू सेवा मंडल ने भी अपने मोक्ष धाम सभी जातियों के लिए खोल रखे हैं. हिंदू सेवा मंडल के स्वर्ग आश्रम में भी नई चिता स्थल बनाने का काम पूरा हो गया है. यहां अब एक साथ 10 से ज्यादा अंतिम संस्कार हो सकेंगे. अंतिम संस्कार के दौरान कोविड गाइडलाइन का भी ध्यान रखा जा रहा है.
जाति बंधन भूलकर इंसानियत का धर्म निभा रहे
जोधपुर में अप्रैल के 28 दिनों में 382 से ज्यादा लोग सिर्फ सरकारी अस्पतालों में दम तोड़ चुके हैं. ग्रामीण क्षेत्रों और घरों में होने वाली मौतों का कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है. कोरोना संक्रमण के इस बुरे दौर में लोग एक-दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं और जाति बंधन भूलकर इंसानियत का धर्म निभा रहे हैं.