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SPECIAL: कभी जुटती थी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, अब कोरोना की वजह से आस्था पर लगा 'ताला' - कोरोना वायरस का प्रभाव

जोधपुर के मसूरिया स्थित प्रसिद्ध बाबा रामदेव मंदिर और उनके गुरु की समाधि स्थल पर हर साल भादों के महीने में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से मंदिर के पट बंद रखे गए हैं. जानिए क्या है इस मंदिर से जुड़ी आस्था और मान्यताएं...

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इतिहास में पहली बार बालीनाथ जी मंदिर के पट बंद

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Published : Aug 20, 2020, 3:26 PM IST

जोधपुर.मसूरिया पहाड़ी की चोटी पर बाबा रामदेव का एक प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में राजस्थान के अलग-अलग जिलों के अलावा अन्य राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. भादो माह शुरू होते ही जोधपुर शहर में लाखों की तादाद में जातरूओं का जमावड़ा देखने को मिलता है. यहां कलयुग के लोक देवता बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ जी की समाधि भी बनी हुई है.

इतिहास में पहली बार बालीनाथ जी मंदिर के पट बंद

यह है मान्यता

कहते हैं कि जोधपुर के इस मंदिर में दर्शन करने से श्रद्धालुओं को कुष्ठ रोग से निजात मिलती है. मान्यता है कि मंदिर में बनी परचा नाड़ी में स्नान करने से भूत-प्रेत नहीं लगते हैं. लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से मंदिरों के पट बंद रखे गए हैं. इतिहास में पहली बार भादों के महीने में बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ जी का मंदिर सुनसान दिखाई दे रहा है. ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है.

बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ जी महाराज

बाबा रामदेव के गुरु थे बालीनाथ

पुरानी मान्यताओं अनुसार लोक देवता बाबा रामदेव के गुरु का प्रारंभिक जीवन काल जैसलमेर जिले के पोकरण में बीता था. बाबा रामदेव की बहन सुगणा के विवाह में पोकरण भेंट किया गया था. सुगणा का पुत्र चंचल और शरारती था. उसने बाबा रामदेव के गुरू बालीनाथ के धूणे में मरा हुआ हिरण डाल दिया. जिससे वे नाराज हो गए. इसके बाद बालीनाथ ने जोधपुर कूच कर मसूरिया में धूणा स्थापित किया. बाबा रामदेव ने जोधपुर पहुंचकर उनसे कई बार क्षमा मांगी, लेकिन बालीनाथ नहीं माने और मसूरिया में ही धूणा स्थापित किया.

बालीनाथ जी की समाधि स्थल

कौन हैं बाबा रामदेव

बाबा रामदेव जी की मृत्यु के पश्चात से रामदेवरा मेला आयोजित किया जाता है, जो एक तंवर राजपूत और एक संत थे. उन्होंने सन 1458 में 'समाधि' ले ली, जो नश्वर शरीर से निकास की एक प्रक्रिया है. ऐसी लोक मान्यता है कि जैसलमेर जिले में स्थित बाबा रामदेव की समाधि स्थल पर सिर झुकाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

समाधि स्थल पर लगा हुआ है ताला

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कोरोना की वजह से मंदिर के पट बंद

वैश्विक महामारी को देखते हुए राजस्थान सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश के तहत मंदिरों के पट बंद किए गए हैं. साथ ही किसी भी श्रद्धालु को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण बाहर से आने वाले श्रद्धालु मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर से ही बाबा रामदेव के दर्शन कर वापस लौटते हुए दिखाई दे रहे हैं.

महामारी के बावजूद दर्शन करने पहुंच रहे श्रद्धालु

मध्य प्रदेश के उज्जैन से मोटरसाइकिल पर सवार होकर जोधपुर पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि उनको सूचना मिली कि मंदिर खुल चुके हैं. जिसके चलते वे लोग मोटरसाइकिल पर जोधपुर पहुंचे और यहां मंदिर बंद होने के कारण मुख्य द्वार के बाहर से ही बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ जी की समाधि के दर्शन कर रामदेवरा के लिए प्रस्थान कर रहे हैं.

मंदिर के बाहर पुलिसकर्मी तैनात

मंदिर ट्रस्ट के सचिव ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी को देखते हुए राजस्थान सरकार की ओर से जारी किए गए आदेशों की पालना की जा रही है साथ ही किसी भी श्रद्धालु या जातरू को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने मंदिर के बाहर पुलिस कर्मियों को भी तैनात किया है.

महाआरती का होगा लाइव टेलीकास्ट

ट्रस्ट के सचिव का कहना है कि हजारों किलोमीटर का सफर कर इस वैश्विक महामारी के बीच श्रद्धालु जोधपुर पहुंच रहे हैं. उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मंदिर ट्रस्ट द्वारा गेट के बाहर से ही उन्हें दर्शन करवाए जा रहे हैं. मंदिर ट्रस्ट के सचिव ने बताया कि वैश्विक महामारी और श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए मंदिर ट्रस्ट द्वारा मंदिर की वेबसाइट बनाई गई है. उस वेबसाइट पर भाद्रपद महीने की द्वितीया को होने वाली महाआरती का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा. जिससे कि इस महामारी के बीच श्रद्धालु मंदिर तक ना पहुंचे और उन्हें घर बैठे ही लोक देवता बाबा रामदेव और उनके गुरु बालीनाथ जी के दर्शन मिल सकें.

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मंदिर ट्रस्ट की लोगों से अपील

ट्रस्ट ने जोधपुर शहर में आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे वैश्विक महामारी और राजस्थान सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों को ध्यान में रखते हुए भीड़ भाड़ करके मंदिर की तरफ ना आएं. देखा जाए तो हर साल इस महीने में जोधपुर शहर में लाखों की तादाद में जातरूओं का जमावड़ा लगा रहता था, लेकिन इस बार वैश्विक महामारी को देखते हुए यह मंदिर भी सुनसान दिखाई दे रहा है. लेकिन मंदिर ट्रस्ट द्वारा भक्तों की भावनाओं को देखते हुए वेबसाइट बनाकर ऑनलाइन प्रसारण किया जाएगा. जिससे भक्त अपने घर पर बैठे-बैठे ही दर्शन कर सकेंगे.

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