जोधपुर. सफेद दाग (विटिलिगो) के उपचार में जोधपुर तकनीक को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल गई है. इसके जनक जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. दिलीप कच्छावा हैं. डॉ. कच्छावा जोधपुर तकनीक के जरिए दवाई से ठीक नहीं हो पाने वाले सफेद दाग का उपचार एक छोटे सर्जरी के प्रोसीजर से करते हैं. जिसे अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वीकार कर लिया गया है.
सफेद दाग के उपचार की जोधपुर तकनीक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली मान्यता और पहचान इस तकनीक का रिसर्च पेपर मेडिकल की दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण कही जाने वाली सीरीज पबमेड में प्रकाशित हुआ है. दुनिया में 2 फीसदी लोग सफेद दाग की बीमारी ग्रसित है. डॉ. दिलीप विटिलिगो के उपचार के दौरान शरीर के अन्य हिस्सों से स्वस्थ चमड़ी के कुछ भाग को सफेद दाग पर प्रत्यारोपित करते हैं.
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जिससे वह दाग समाप्त हो जाता है. यह सर्जरी वे बहुत ही सामान्य तरीके से करते हैं और इसमें मरीज को किसी तरह के साइड इफेक्ट का खतरा नहीं होता है. डॉ. कच्छावा वर्ष 2000 से इस उपचार पर शोध कर रहे हैं और वह अब तक हजारों मरीजों का उपचार कर चुके हैं.
डॉ. कच्छावा ने इसे नाम दिया जोधपुर तकनीक
पिछले लंबे समय से उनकी इस तकनीक को दुनिया के कई प्रमुख मेडिकल प्लेटफॉर्म पर स्वीकार किया गया है और अब सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल जनरल पबमेड में इसे जगह मिल गई है. जिसे मेडिकल स्टूडेंट भी ऑनलाइन पढ़ सकेंगे. डॉ. कच्छावा ने इसे कोई मेडिकल तकनीक का नाम देने के बजाय जोधपुर तकनीक का नाम देना ज्यादा उचित समझा. जिससे कि उनके शहर का नाम भी दुनिया के सामने आ सके. डॉ. दिलीप के अनुसार यह सरल और सस्ती तकनीक है. जिससे हजारों लोगों को सफेद दाग की परेशानी से मुक्त किया जा सकता है.