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Special: काजरी की 'मरुसेना' है फसलों में फंगस का बेजोड़ इलाज, सरकार ने किया पेटेंट

जोधपुर के काजरी संस्थान ने अब बैक्टीरिया और फंगस मिलाकर एक नया बायो फॉर्मूलेशन तैयार किया है, जो फसलों में फंगस जनित रोग खत्म कर उत्पादन बढ़ाएगा. इतना ही नहीं, इसका सफल प्रयोग कर इसे किसानों को भी देने की तैयारी है. देखिए ये रिपोर्ट...

काजरी की मरुसेना, rajasthan news
काजरी ने किया मरुसेना का ईजाद

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Published : Jul 3, 2020, 9:23 PM IST

जोधपुर.केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने जमीनी फंगस को फंगस से ही खत्म करने में सफलता प्राप्त कर ली है. इसके लिए काजरी ने फंगस व बैक्टिरिया मिलाकर एक नया बायो फॉर्मूलेशन तैयार किया है. वहीं, सबसे अहम बात यह है कि केंद्र सरकार ने इस बायो फॉर्मूलेशन का पेटेंट किया है.

काजरी ने ईजाद की मरुसेना

काजरी ने पेस्ट के रूप में इसे बनाकर सफल प्रयोग भी किया है, जिसे मरुसेना नाम दिया गया है. वहीं, इसके सफल प्रयोग के बाद इसे व्यावसायिक रूप से तैयार कर किसानों को दिया जाएगा. जिससे वे अपनी फसलों को फंगस से बचा सकेंगे. हालांकि, वर्तमान में भी काजरी यह बायो फॉर्मूलेशन कुछ चयनित किसानों को बनाकर दे रहा है, जिसका फायदा भी किसानों को देखने को मिल रहा है. अब इसका दायरा बढ़ाया जाएगा.

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वहीं, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ऋतु मावर ने बताया कि इसके उपयोग से 15 से 20 फीसदी फसलों का उत्पादन बढ़ता है. इसे खेतों में छिड़काव के रूप में उपयोग में लिया जाता है.

फंगस लगा पौधा

40-50 डिग्री तापमान भी ये फंगस प्रभावी...

वहीं, खरीफ की फसल मूंग, मोठ, तिल में जड़ गलन रोग मुख्य होता है. मेक्रोफोमिना नामक फंगस की वजह से फसलों में ये समस्या उत्पन्न होती है. जिसके कारण पौधे समाप्त हो जाते हैं. इसकी तरह से रबी में जीरे की फसल में भी फंगस के चलते पौधा खराब हो जाता है. इन रोगों से लड़ने के लिए काजरी के वैज्ञानिकों ने थार की भूमि में से ट्राइकोडर्मा हर्जिएनम नामक फंगस की पहचान की, जो 40 से 50 डिग्री तापमान तक काम करता है.

काजरी ने फंगस को मारने के लिए फंगस का बनाया फॉर्मूलेशन

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जिसे मित्र फंगस यानी फ्रेंडली फंगस बताया गया है, जो किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. इसके साथ ही काजरी ने फॉस्फेट उत्पादक बैक्टिरिया बेसोलस फमर्स खोजा. इन दोनों को मिलाकर बायो फॉर्मूलेशन तैयार किया गया है. इसे मरुसेना नाम दिया है. वहीं, यह मूंगफली की फसल में भी यह फायदेमंद है.

किसानों को हो रहा फायदा

क्या है मित्र फंगस...

फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले फंगस को शत्रु के रूप में देखा जाता है, लेकिन कुछ फंगस ऐसे भी होते हैं जो फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. ये फंगस किसानों के लिए फायदेमंद इसलिए होते हैं कि ये फसलों पर लगनेवाले फंगस को मार देते हैं. जिससे किसानों की फसल का नुकसान नहीं होता है. ऐसे में इनके काम के अनुरूप इनको मित्र फंगस कहा जाता है. ट्राइकोडर्मा हर्जिएनम भी उसीप्रकार का एक मित्र फंगस है.

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ट्राइकोडर्मा मृदा में स्थित रोग उत्पन्न करने वाले हानिकारक कवकों की वृद्धि रोककर उन्हें धीरे-धीरे नष्ट करता है. इससे ये हानिकारक कवक फसलों की जड़ों को संक्रमित कर रोग उत्पन्न करने में असमर्थ हो जाते हैं. ट्राइकोडर्मा अनेक फसलों जैसे कपास, मूंगफली, चना, सरसाें, अरहर व जीरा आदि में भूमि जनित फफूंद रोगों जड़ गलन, उखटा व तना गलन के नियंत्रण में प्रभावी है.

कैसे होगा मरुसेना से उपचार...

किसानों को बुवाई से पहले खेत में 50 किलोग्राम गोबर प्रति हेक्टयर के हिसाब से उसमें 1 किग्रा मरुसेना मिलाना होगा. इस तरह वो मृदा का उपचार करके अपनी फसलों का फंगस मुक्त रख सकते हैं.

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