जोधपुर.केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने जमीनी फंगस को फंगस से ही खत्म करने में सफलता प्राप्त कर ली है. इसके लिए काजरी ने फंगस व बैक्टिरिया मिलाकर एक नया बायो फॉर्मूलेशन तैयार किया है. वहीं, सबसे अहम बात यह है कि केंद्र सरकार ने इस बायो फॉर्मूलेशन का पेटेंट किया है.
काजरी ने पेस्ट के रूप में इसे बनाकर सफल प्रयोग भी किया है, जिसे मरुसेना नाम दिया गया है. वहीं, इसके सफल प्रयोग के बाद इसे व्यावसायिक रूप से तैयार कर किसानों को दिया जाएगा. जिससे वे अपनी फसलों को फंगस से बचा सकेंगे. हालांकि, वर्तमान में भी काजरी यह बायो फॉर्मूलेशन कुछ चयनित किसानों को बनाकर दे रहा है, जिसका फायदा भी किसानों को देखने को मिल रहा है. अब इसका दायरा बढ़ाया जाएगा.
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वहीं, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ऋतु मावर ने बताया कि इसके उपयोग से 15 से 20 फीसदी फसलों का उत्पादन बढ़ता है. इसे खेतों में छिड़काव के रूप में उपयोग में लिया जाता है.
40-50 डिग्री तापमान भी ये फंगस प्रभावी...
वहीं, खरीफ की फसल मूंग, मोठ, तिल में जड़ गलन रोग मुख्य होता है. मेक्रोफोमिना नामक फंगस की वजह से फसलों में ये समस्या उत्पन्न होती है. जिसके कारण पौधे समाप्त हो जाते हैं. इसकी तरह से रबी में जीरे की फसल में भी फंगस के चलते पौधा खराब हो जाता है. इन रोगों से लड़ने के लिए काजरी के वैज्ञानिकों ने थार की भूमि में से ट्राइकोडर्मा हर्जिएनम नामक फंगस की पहचान की, जो 40 से 50 डिग्री तापमान तक काम करता है.
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