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Special : जोधपुर CAZRI ने विकसित की कैमोमाइल चाय की खेती की तकनीक, 50 हजार रुपए प्रति लीटर है इसका Oil - जोधपुर हिंदी न्यूज

जोधपुर काजरी नित नए-नए कृषि के क्षेत्र में प्रयोग कर रहा है. इसी बीच जोधपुर काजरी ने यूरोप की कैमोमाइल चाय उगाने में सफलता हासिल की है. औषधीय गुणों से भरपुर कैमोमाइल जल्द ही राजस्थान के खेतों में खुशबू बिखेरेगा.

Jodhpur CAZRI, Chamomile cultivation
जोधपुर CAZRI में कैमोमाइल चाय की खेती

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Published : Feb 5, 2021, 3:35 PM IST

जोधपुर. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) नित नए प्रयोग करता आया है. एक बार फिर काजरी ने फ्रांस और जर्मनी में पैदा होने वाली कैमोमाइल चाय की सफलता पूर्वक खेती शुरू कर दी है. वैज्ञानिकों के करीब तीन साल की अथक मेहनत के बाद काजरी परिसर में यूरोप में होने वाली इस चाय की सुगंध महकने लगी है.

जोधपुर CAZRI में कैमोमाइल चाय की खेती

काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसपीएस तंवर के निर्देश में रेगिस्थान में विकसित हुई इस चाय की खेती की तकनीक से शुष्क क्षेत्र के किसान भी इसकी खेती कर सकेंगे. वर्तमान में दवा निर्माता कंपनियों के लिए लखनउ और नीमच में खेती होती है. इसके अलावा जर्मनी व फ्रांस से इसका आयात होता है. लोगों के पास इसकी खेती की तकनीक नहीं होने से बडे स्तर पर इसकी खेती नहीं हो पा रही है. जल्द ही काजरी अगले साल से इसके बीज किसानों के लिए उपलब्ध करवाएगी. इसके अलावा इसके फूलों को एकत्र करने के लिए उपकरण भी विकसित करने पर काम चल रहा है. ईटीवी भारत ने काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसपीएस तंवर से इस कैमोमाइल की खेती को लेकर खास बातचीत की.

कैमोमाइल के फूल

वैज्ञानिक डॉ. एसपीएस तंवर ने कैमोमाइल की खूबियों को लेकर बताया कि कैमोमाइल चाय नींद की बीमारी में असरकारक होती है. यह चाय यूरोप में गर्मियों में पैदा होती है लेकिन अब कैमोमाइल चाय रेगिस्तान में थार में सर्दियों में पैदा होगी. डॉ. एसपीएस तंवर के मुताबिक कैमोमाइल की खेती में गेहूं से कम और सरसों से ज्यादा पानी लगता है.

50 हजार रुपए प्रति लिटर बिकता है कैमोमाइल का तेल

उन्होंने बताया कि इसके सफेद-पीले रंग के ताजा फूलों से ब्लू ऑयल निकलता है. जिसका उपयोग दवाइयों सहित अन्य में होता है. बाजार में कैमोमाइल का तेल (Chamomile oil) 50 हजार रुपए प्रति लिटर बिकता है. इसके महंगे होने का कारण फूलों से तेल की मात्रा बेहद कम 0.3 से 0.4 फीसदी होना है.

औषधीय गुणों से भरपुर कैमोमाइल

हर तरह से कारगर

विटामिन सी, जिंक सहित अन्य पोषक गुणों वाली कैमोमाइल के फूलों को सूखाकर चाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसका सेवन ग्रीन टी की तरह होता है. कैमोमाइल का उपयोग एरोमा थैरेपी, पांरपरिक चिकित्सा और हड्डी रोग में फूलों का मलहम तैयार करके लगाया जाता है. यह चाय नींद की बीमारी इनसोम्निया और एंजायटी को दूर करती है.

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एक शोध के अनुसार 270 मिलीग्राम कैमोमाइल चाय दिन में दो बार 28 दिनों तक पीने पर 15 मिनट तेजी से नींद आनी शुरू हो जाती है क्योंकि सामान्य चाय पीने से उत्तेजना पैदा करती है. वहीं कैमोमाइल दिमाग को शांत करती है. इसमें मौजूद एपीजेनिन एंटीऑक्सीडेंट शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. कैमोमाइल पाचन तंत्र को भी दुरुस्त करती है. इसके लगातार सेवन से गैस, कब्ज और कम पाचन क्षमता जैसी परेशानी दूर हो जाती है.

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