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स्पेशल: विवाह लंबे समय तक चले, इसलिए जापानी जोड़े ने हिंदू रीति-रिवाज से लिए फेरे

हिन्दू धर्म की शादियों में बहुत सी रस्में और रीति-रिवाज निभाए जाते हैं, भारतीय रीति-रिवाज और भारतीय संस्कृति सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद की जाती हैं. भारतीय शादियों में कुछ ऐसी रस्में होती हैं, जो सिर्फ रीति-रिवाज या रस्में ही नहीं हैं, उनके कुछ वैज्ञानिक कारण और फायदें भी होते हैं. जो वर-वधु के लिए जरूरी होते हैं. इस दास्तां को सच कर दिखाया है एक जापानी जोड़े ने...

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जापानी जोडे़ ने हिंदू रीति-रिवाज से लिए फेरे...

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Published : Feb 10, 2020, 8:07 PM IST

जोधपुर.हम बात कर रहे हैं सूर्यनगरी यानि जोधपुर की. यहां एक जापानी जोड़े ने ऐसी शादी की जो चर्चा का विषय बनी हुई है. जापानी जोड़े ने, विवाह के दौरान लगने वाला समय लंबा हो. सिर्फ इस वजह से इस जोड़े ने अपनी शादी में हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक फेरे लिए.

जापानी जोडे़ ने हिंदू रीति-रिवाज से लिए फेरे...

जोधपुर शहर के मोटर मर्चेंट एसोसिएशन में आयोजित विवाह समारोह में 25 जापानी शामिल हुए. जोड़े को ​हिंदू रीति-रिवाज से विवाह करने के लिए शहर के वीरेंद्र भंडारी ने प्रेरित किया. भंडारी का अपने व्यापार के सिलसिले में लगातार जापान आना-जाना लगा रहता है. उन्होंने बताया कि उनके मित्र काजूकी ने भंडारी से विवाह की बात की. ऐसे में भंडारी ने बताया कि अगर विवाह का रिश्ता लंबा चलाना है तो हिंदू रीति-रिवाज से विवाह करो.

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इस पर काजूकी मान गए और अपने परिवार व मित्रों के साथ जोधपुर पहुंचे. सोमवार को यानि 10 फरवरी को विवाह का मर्हुत निकला गया और हिंदू ​रीति-रिवाज के अनुरूप सुबह बारात की निकासी निकाली गई. बारात आने पर स्वागत भी किया गया. इसके बाद पंडित ने मंत्रोच्चार से फेरे की रस्म करवाई. इस दौरान जापानी जोड़े ने पंडित का पूरा सहयोग किया और हर रस्म को परिवार के साथ निभाई.

भंडारी ने बताया कि वे इससे पहले भी जापानी जोड़े का विवाह करवा चुके हैं. जापानी विवाह संस्कृति को सम्मान देते हैं, इसलिए हिंदू संस्कृति से प्रभावित होकर विवाह करते हैं.

परिधान भी 'भारतीय'...

दूल्हा काजूकी और दुल्हन यादाटेगो और उनके साथियों व परिवार के लोगों ने भारतीय परिधान अपनाया. हिन्दू परंपरा की तरह शेरवानी में घोड़ी पर सवार होकर बैंड-बाजा के साथ बारात लेकर निकली. बनारसी साड़ी में जापानी दुल्हन भारतीय दुल्हन की तरह शृंगार की थी.

मंत्र भी दोहराए...

पंडित के कहने के अनुसार दुल्हा-दुल्हन ने कई मंत्र भी दोहराए. खासतौर से गायत्री मंत्र और जैन समाज के महामंत्र का भी जाप किया.

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