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स्पेशल: श्रद्धा के फूलों को तरसती रही बापू की यह प्रतिमा

इतिहास के पन्नों में दर्ज वो तारीख आज ही है, जिस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारी थी. गांधी दुनिया भर के लिए आदर्श थे, आज उनकी पुण्यतिथि है. सत्य और अहिंसा की राह पर चलते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करने की सीख गांधी को उनकी मां से मिली थी. बात करें जोधपुर जिले के भोपालगढ़ पुलिस थाने की तो यहां के मालखाने में 9 साल से महात्मा गांधी की प्रतिमा आज भी सम्मान पाने की राह देख रही है.

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9 साल से अनावरण की राह देख रही महात्मा गांधी की प्रतिमा

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Published : Jan 30, 2020, 11:55 AM IST

Updated : Jan 30, 2020, 10:34 PM IST

भोपालगढ़ (जोधपुर). देश भर में आज महात्मा गांधी की 72वीं पुण्य तिथि मनाई जा रही है. उनके सम्मान में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन भी हो रहा है. लेकिन जोधपुर के भोपालगढ़ पुलिस थाने के मालखाने में स्थित महात्मा गांधी की एक मूर्ति सालों से स्थापना और अनावरण के इंतजार में है.

9 साल से अनावरण की राह देख रही महात्मा गांधी की प्रतिमा

बता दें कि लगभग 30 साल पहले भोपालगढ़ कस्बे के कुछ समाजसेवी लोगों ने चंदा जुटाकर महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाने के लिए सब्जी मंडी के पास स्थित जैन रत्न विद्यालय के मुख्य द्वार के ठीक सामने एक स्मारक बनवाया था. इस पर बापू की प्रतिमा भी मंगवाकर स्थापित कर दी थी. लेकिन प्रतिमा के अनावरण के लिए बुलाए गए अतिथियों के किसी कारण वश नहीं आ पाने के चलते प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था.

कुछ ये दी दास्तां...

इस दौरान कोई असामाजिक तत्व प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ न कर दे. इस लिहाज से जैन विद्यालय के शिक्षकों ने स्मारक पर कपड़े में ढकी बापू की प्रतिमा को विद्यालय के हॉल में रखवा दिया था. उसके बाद कई साल तक बापू की यह प्रतिमा इसी विद्यालय के हॉल में रखी रही. इसके बाद किसी ने इस प्रतिमा को विद्यालय के हॉल से उठाकर कबाड़ में रख दिया. इसकी जानकारी मिलने पर गांव के लोग आक्रोशित हो गए और प्रतिमा की ऐसी दुर्दशा देखकर आज से करीब 8-9 साल पहले गांव के लोग एकत्रित हुए और प्रतिमा को स्मारक पर लगाने की मांग करने लगे.

विद्यालय प्रशासन ने किया इनकार...

विद्यालय प्रशासन ने गांधी की प्रतिमा अपनी बताते हुए देने से इंकार कर दिया, जिसके चलते मामला उग्र रूप लेने लगा. मौके पर पुलिस ने पहुंचकर स्थिति को संभाला और कस्बे में शांति व्यवस्था भंग नहीं हो, इसके लिए दोनों पक्षों से समझाइश की. लेकिन दोनों पक्ष नहीं माने, इस पर पुलिस ने प्रतिमा को अपने कब्जे में ले लिया और जब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ तब तक प्रतिमा को स्थानीय पुलिस थाने के मालखाने में रखवा दिया.

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पिछले करीब 8-9 साल से यह प्रतिमा पुलिस थाने के मालखाने में ही रखी हुई है. ऐसे में कोई भी जनप्रतिनिधि, ग्राम पंचायत और अधिकारी बापू की इस प्रतिमा को मालखाने से मुक्त करवाने की पहल नहीं की. हालांकि ग्राम पंचायत ने एक बार प्रतिमा के स्मारक को जरूर तैयार करवाया, लेकिन स्मारक पर प्रतिमा स्थापित करने के लिए कोई ठोस कदम आज तक नहीं उठाए गए. फिलहाल, महात्मा गांधी की मूर्ति को इंतजार है स्थापना और उसकी आजादी का.

किसी को नहीं आती याद...

हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर कस्बे में कांग्रेसी कार्यकर्ता उनके नाम पर तरह-तरह के आयोजन तो करते हैं. लेकिन पुलिस थाने के मालखाने में पड़ी बापू की यह प्रतिमा श्रद्धा के दो फूलों के लिए ही तरसती नजर आती है. यहां तक कि सफेद खाकी कुर्ता पहनकर अपने को गांधी वादी बताने वाले किसी भी नेता को उनकी याद तक नहीं आती है. इस संबंध में कई बार स्थानीय कार्यकर्ताओं ने गांधी प्रतिमा को स्थापित कर विधिवत रूप से अनावरण करने के घोषणाएं भी की, लेकिन अभी तक कोई आवश्यक कार्रवाई नहीं हो पाई है.

Last Updated : Jan 30, 2020, 10:34 PM IST

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