राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नागौर के APO आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने डॉक्टर सुकुमार कश्यप को सीएमएचओ नागौर के पद से हटाकर APO करने और एक अन्य जूनियर चिकित्सक को CMHO नागौर के पद का अतिरिक्त कार्यभार देने के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने रिट याचिका पेशकर किया है.

By

Published : Aug 11, 2020, 5:59 PM IST

जोधपुर की खबर  jodhpur news  राजस्थान हाईकोर्ट की खबर  rajasthan highcourt news  जस्टिस दिनेश मेहता  justice dinesh mehta
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नागौर के मामले में हुई सुनवाई

जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जोधपुर हाईकोर्ट ने डॉक्टर सुकुमार कश्यप के मामले में सुनवाई की है. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सुकुमार कश्यप को सीएमएचओ नागौर के पद से हटाकर एपीओ करने और जूनियर चिकित्सक को सीएमएचओ का अतिरिक्त कार्यभार देने के मामले में नोटिस जारी किया है. अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने याचिकाकर्ता की ओर से रिट याचिका पेश की.

रिट याचिका पेशकर यशपाल खिलेरी ने बताय कि याची की नियुक्ति चिकित्सा अधिकारी पद पर राज्य सरकार ने साल 1989 में की थी, जिस पर गत 31 साल से याची अपनी संतोषजनक सेवाएं चिकित्सा विभाग के अधीन दे रहे हैं. साल 2017 में उप निदेशक पद, जो कि सीएमएचओ पद के समकक्ष होता है पर पद्दोनति हुई. वर्तमान में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नागौर पद पर कार्यरत हैं.

यह भी पढ़ेंःराजस्थान हाईकोर्ट: लॉकडाउन में पाक विस्थापितों की समस्याओं को लेकर दायर जनहित याचिका को रिकॉर्ड पर लेने के आदेश

याची वर्तमान कोरोना महामारी में भी गत पांच महीने से बिना अवकाश के अपनी सेवाएं दिन रात दे रहे हैं और नागौर में कोरोना संक्रमण को काफी हद तक नियंत्रित किया है. फिर भी उप शासन सचिव ने नियमों के विपरीत जाकर और जूनियर चिकित्सक को सीएमएचओ पद पर लगाने की नियत से याची को एपीओ किया गया है, जो विधि विरुद्ध है.

यह भी पढ़ेंःजेल के बाहर से आएगा आसाराम का खाना, राजस्थान हाईकोर्ट ने दी अनुमति

जूनियर चिकित्सक सीएमएचओ पद पर नियमानुसार पोस्ट नहीं हो सकता जो सेवा न्यायशास्त्र के सिद्धांतों के विपरीत है, जिसे चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि याची संतोषजनक सेवाएं दे रहा है और चिकित्सा विभाग कोरोना काल में चिकित्सकों की कमी से भी जूझ रहा है, फिर भी चिकित्सकों को एपीओ कर रहा है. वर्तमान में कार्मिकों के स्थानांतरण पर 30 सितंबर 2019 से रोक है, लेकिन चिकित्सा विभाग APO की आड़ में स्थानांतरण का नया तरीका इख्तियार कर रहा है.

हाईकोर्ट ने डॉ. राहुल चौधरी प्रकरण में विभाग के इस कृत्य पर सख्त आदेश पारित कर निदेशक (जन स्वास्थ्य), चिकित्सा विभाग को शपथ पत्र पेश करने का आदेश दिया है कि स्थानांतरण पर रोक होने के बावजूद APO को स्थानान्तरण का विकल्प क्यों बना रखा है, जो प्रकरण विचाराधीन है. खिलेरी ने पूर्व न्यायिक दृष्टान्त की ओर भी न्यायालय में ध्यान आकर्षित किया. याचिकाकर्ता के तर्कों को सुनकर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के APO पर रोक लगाते हुए, सरकार और अन्य को छह सप्ताह में जवाब-तलब किया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details