जोधपुर. तृतीय श्रेणी अध्यापक से वरिष्ठ अध्यापक गणित के पद पर पदोन्नति (Departmental Promotion Committee) को लेकर आवश्यक योग्यता के संबंध में राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ ने शिक्षा विभाग को विशेष निर्देश दिए हैं. न्यायाधीश डॉ पुष्पेन्द्रसिंह भाटी की अदालत ने बजरंग लाल कुमावत व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आवश्यक निर्देश दिए हैं. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता खेतसिंह राजपुरोहित ने बताया कि विभागीय पदोन्नति में गणित विषय के वरिष्ठ अध्यापक पद पर पदोन्नति (DPC) के लिए गणित में स्नातक को ही पदोन्नत करने तथा अन्य विषय में एक वर्ष के अतिरिक्त गणित की पदोन्नति में शामिल नहीं करते के लिए याचिका दायर की थी.
अधिवक्ता ने तर्क दिया कि राजस्थान शिक्षा सेवा नियमों के अनुसार वरिष्ठ अध्यापक गणित विषय के लिए नियमों में संबंधित विषय में स्नातक होना आवश्यक है. लेकिन माध्यमिक शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक गणित के पद पर उन अभ्यर्थीयों को भी पात्रता सूची में शामिल कर लिया गया जो मूल रूप से कला स्नातक डिग्री रखते हैं. ऐसे अभ्यर्थी ने एक वर्षीय अतिरिक्त विषय गणित के प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए हैं जबकि याची का तर्क है कि एक वर्षीय गणित विषय के प्रमाण पत्र प्राप्त अभ्यर्थी उस विषय के स्नातक नहीं माने जा सकते हैं. क्योंकि स्नातक डिग्री विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमानुसार न्यूनतम तीन वर्ष अध्यापन बाद ही उस विषय की डिग्री धारक माना जा सकता है.
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याचिका में बताया कि ऐसे अतिरिक्त विषय के अभ्यर्थी को पदोन्नति में शामिल करने के कारण गणित विषय बीएससी में डिग्रीधारक अभ्यर्थी अन्य योग्यताओं को पूर्ण करने के बावजूद भी पदोन्नति के लिए प्रकाशित अंतिम सूची व डीपीसी से बाहर हो गए एवं ऐसा होने पर योग्यताधारी होने के बावजूद भी उनकी योग्यता प्रभावित हुई है. इससे गणित जैसे विषय के विद्यार्थीयों की शिक्षा के स्तर पर भी प्रभाव पड़ेगा. सरकार की ओर से राजकीय अधिवक्ता हेमन्त चौधरी ने कोर्ट को बताया कि एक वर्ष के प्रमाण पत्रधारी अभ्यर्थी संबंधित विषय में स्नातक नहीं होते हैं.