जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने ट्रांसजेंडर के मामले में राज्य सरकार को आदेश दिया (High court order on transgender appointment case) है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में चार माह में विशेष तौर पर आरक्षण को लेकर प्रक्रिया पूरी करे. वहीं सब इंस्पेक्टर भर्ती से याचिकाकर्ता को इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वह ट्रांसजेंडर है.
वरिष्ठ न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ के समक्ष ट्रांसजेंडर याचिकाकर्ता गंगा कुमारी की याचिका पर विस्तृत सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रितुराजसिंह ने बताया कि याचिकाकर्ता राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर है जिसको पुलिस विभाग में कांस्टेबल पद पर नियुक्ति मिली थी. अब उसने सब इंस्पेक्टर पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया है. ऐसे में याचिका में बताया कि केवल इस आधार पर उसे भर्ती से बाहर नहीं किया जाए कि वह ट्रांसजेंडर है.
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याचिका में यह भी कहा गया कि जिस तरह से सभी कैटेगरी में विधवा, परित्यक्ता, निशक्त जन व उत्कृष्ट खिलाड़ी के आरक्षण की व्यवस्था की गई है, उसी तरह ट्रांसजेंडर को भी आरक्षण दिया जाए. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर मामले में केन्द्र व राज्य सरकारों को पहले ही आदेश दिया है कि शैक्षणिक व सरकारी नियुक्तियों में इनके लिए प्रावधान किया जाएं. लेकिन आज तक उसकी पालना नहीं हुई है.
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साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में चार माह में डिटेल बनाएं कि कैसे राजस्थान में इनको लाभान्वित किया जा सकता है?. खासकर इनके आरक्षण कि व्यवस्था कैसे की जा सकती है?. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में कर्नाटक में सरकारी नियुक्तियों में ट्रांसजेंडर को एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. उसी तर्ज पर राजस्थान में भी समस्त राजकीय सेवाओं में ट्रांसजेंडर के लिए प्रावधान हो सकता है.