जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत में विद्यालय सहायक भर्ती 2015 को निरस्त करने के मामले में दायर याचिकाओं पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है. याचिकाकर्ता डूंगर सिंह व अन्य की ओर से दायर याचिका में अधिवक्ता कैलाश जांगिड़ व मोहन सिंह शेखावत ने पैरवी कर बताया कि सर्वप्रथम वर्ष 2013 में सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर शिक्षा सहायक सर्विस नियम 2013 बनाए गए. उसके बाद शिक्षा सहायक पद हेतु विज्ञप्ति वर्ष 2013 में जारी की गई और योग्य अभ्यर्थियों से आवेदन राज्य सरकार द्वारा मांगे गए.
आवेदन करने के बाद भर्ती प्रक्रिया पूर्ण नहीं की गई. आदेश दिनांक 19 /3 /2015 के तहत शिक्षा सहायक भर्ती को निरस्त कर दिया गया. उसके पश्चात राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना दिनांक 20 जुलाई 2015 को जारी कर राजस्थान विद्यालय सहायक अधीनस्थ सेवा नियम 2015 बनाए गए और उक्त नियमों के तहत विद्यालय सहायक सीधी भर्ती 2015 को जारी की गई. जिसके तहत याचिकाकर्ताओं व योग्य अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, उक्त आवेदन करने के पश्चात राज्य सरकार द्वारा इस विद्यालय सहायक भर्ती को आगे नहीं बढ़ाया गया. कई बार निवेदन करने के पश्चात भी भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण नहीं किया गया.
याचिकाकर्ताओं व अन्य अभ्यर्थियों ने जब सूचना अधिकार के तहत सूचना मांगी तो राज्य सरकार द्वारा 27-11-2019 को निदेशक कार्यालय द्वारा सूचना प्रस्तुत कर बताया गया कि भर्ती 2013 में कुल 1203013 आवेदन प्राप्त हुए और 23. 6 करोड़ रुपए कुल फीस के रूप में जमा हुए. विद्यालय सहायक भर्ती 2015 में कुल 727462 आवेदन हुए और 6 करोड़ से अधिक राशि के रूप में जमा हुई. उसके पश्चात याचिकाकर्ताओं द्वारा कई बार निवेदन करने के बावजूद भी उक्त भर्ती प्रक्रिया को राज्य सरकार ने आगे नहीं बढ़ाया.
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सूचना मांगने पर राज्य सरकार द्वारा जून के माह में 2020 में यह सूचना प्रस्तुत की गई कि 21 नवंबर 2019 के आदेश से राजस्थान विद्यालय सहायक अधीनस्थ सेवा नियम 2015 के अंतर्गत आयोजित विद्यालय सहायक भर्ती 2015 को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है. इस प्रकार राज्य सरकार द्वारा केवल करोड़ों रुपये फीस के रूप में लेने के बाद भी भर्ती पूर्ण नहीं की गई और बेरोजगार युवकों के साथ खिलवाड़ किया गया. इस प्रकार दो बार भर्ती प्रक्रिया को निरस्त किया गया, जिसके विरुद्ध याचिकाकर्ताओं द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई के पश्चात जस्टिस मेहता ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया और उक्त मामले को पुनः सुनवाई दिनांक 11 सितंबर को मुकरर्र की गई.