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हाईकोर्ट ने HIV कैदी के इलाज से संबंधित रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने एचआईवी कैदी के इलाज को लेकर अंतरिम जमानत के लिए दिए गए याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता से तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए. हाईकोर्ट ने कहा कि कैदी का इलाज जोधपुर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज या एम्स में संभव है या नहीं इस संबंध में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करें. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से कैदी के पूर्व में करवाए गए इलाजों की जानकारी मांगी.

Petition for interim bail, Rajasthan High Court News,अंतरिम जमानत के लिए याचिका
लाज से संबंधित रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश

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Published : Jun 19, 2020, 2:25 AM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक एचआईवी पॉजिटिव कैदी की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता से तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए कहा कि क्या जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज या एम्स में उसकी चिकित्सा हो सकती है या नहीं. विशेष रूप से गठित खंडपीठ के जस्टिस दिनेश मेहता और अवकाशकालीन जस्टिस कुमारी प्रभा शर्मा ने गुरूवार को एचआईवी पॉजिटिव कैदी की याचिका की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए हैं.

हाईकोर्ट के समक्ष एचआईवी पॉजिटिव कैदी की ओर से अधिवक्ता विनोद शर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद है और एचआईवी पॉजिटिव मरीज है. उसे पहले भी चार बार ईलाज के लिए अंतरिम जमानत दी जा चुकी है. वहीं अभी भी उसे उपचार की आवश्यकता है. इसीलिए कम से कम 3-4 महीने के लिए अंतरिम जमानत प्रदान की जाए.

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इस पर खंडपीठ ने अप्रार्थी राज्य सरकार के अधिवक्ता पंकज शर्मा को नोटिस जारी करते हुए 29 जून को जवाब तलब किया है. वही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को निर्देश दिये है कि, पिछली बार जो अंतरिम जमानत प्रदान की गयी है .उसे दौरान उसे किस अस्पताल में भर्ती कराया गया उसके दस्तावेज भी अगली सुनवाई पर पेश करें.

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सुनवाई के दौरान ही खंडपीठ ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से पैरवी करने वाले एएजी पंकज शर्मा के नाम से निर्देश जारी करते हुए कहा कि, सरकार की ओर से याचिकाकर्ता को पहले डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी में दिखा कर पता करें की वहां एचआईवी पॉजिटिव का आवश्यक इलाज हो सकेगा अथवा नहीं. यदि नहीं तो इसके बाद याचिकाकर्ता को एम्स में ले जा कर दिखाया जाए और तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करें. जिससे याचिकाकर्ता की अंतरिम जमानत मामले की उचित तरीके से सुनवाई की जा सके.

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