जोधपुर.राजस्थान उच्च न्यायालय के जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने आयुर्वेद कॉलेजों द्वारा दायर याचिकाओं को यह कहते हुये खारिज कर दिया कि नीट में पर्सेंटाइल कम करने के लिए सीसीआईएम ने केन्द्र सरकार को अनुशंसा नहीं की है. इसीलिए उसे कम नहीं किया जा सकता है. आयुर्वेद कॉलेजों में अधिकांश सीटें खाली होने के चलते ज्योति विद्यापीठ व अन्य आयुर्वेद कॉलेजों की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका पेश की गई थी.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कुलदीप माथुर व अखिलेश राजपुरोहित ने याचिकाओं में बताया कि नीट परीक्षा के पर्सेंटाइल के आधार पर ही एमबीबीएस, बीडीएस एवं अब केन्द्र सरकार बीएएमएस और बीएचएमएस कोर्स में भी प्रवेश दे रहे हैं. जिसकी वजह से अधिकांश सीटें आयुर्वेद कॉलेजों में खाली पड़ी हैं. याचिका में बताया गया कि राजस्थान में आयुर्वेद कॉलेजों में चौकाने वाले आंकड़े हैं. जहां आयुर्वेद कॉलेज में 770 में से 77 रिक्त हैं. यूनानी कॉलेज में 153 में से 83 सीटें खाली हैं. होम्योपैथी कॉलेजों में 745 सीटों में से 482 सीटें खाली हैं. वहीं योग और प्राकृतिक चिकित्सा में 700 और 606 सीटें खाली हैं.
याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने कहा कि नीट योग्यता को लेकर पचास पर्सेंटाइल थे, लेकिन एपेक्स कोर्ट द्वारा चालीस पर्सेंटाइल कर दिए गए हैं. फिर तीस पर्सेंटाइल कर दिए. उसके बावजूद सीट रिक्त हैं. ऐसे में नीट की बाध्यता नहीं होनी चाहिए. वहीं केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी मुकेश राजपुरोहित एवं केन्द्रीय मेडिसिन विभाग की ओर से हेमन्त दत्त ने पैरवी करते हुए कहा कि नीट योग्यता और अनिवार्य रूप से आवश्यक है. मेडिकल शिक्षा के लिए छात्र को न्यूनतम प्रतिशत होना आवश्यक है, अन्यथा योग्यता नहीं रहेगी. मेडिकल क्षेत्र में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा होना आवश्यक है, अन्यथा एक बिन्दू से नीचे गुणवत्ता पूर्ण मेडिकल शिक्षा नहीं हो पाएगी.