जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए बाल कल्याण समिति को उम्र संबंधी दस्तावेजों की जांच कर रिपोर्ट पेश करने और तब तक नाबालिग बालिका को नारी निकेतन भेजने का निर्देश दिया है. मामले में 27 मई को अगली सुनवाई होगी.
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हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को बालिका को पेश किया गया. नाबालिक बालिका के भाई ओमप्रकाश की ओर से एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर अधिवक्ता अशोक छंगाणी के जरिए बताया कि वह नाबालिग है और स्कूल दस्तावेजों के अनुसार 2005 उसकी जन्म तिथि है. अप्रार्थी मूलाराम उसे भगाकर ले गया और जबरन बंधक बनाकर रखा.
बालिका को जब पेश किया गया तो न्यायालय ने उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि वह बालिग है और स्कूल दस्तावेजों में गलत तारीख अंकित की गई है. उसने अपनी मर्जी से मूलाराम के साथ विवाह किया है. वह अपने परिजनों के साथ नहीं जाना चाहती है.
बालिका के बयान के बाद न्यायालय में अधिवक्ता छंगाणी ने कहा कि किशोर न्याय के प्रावधान के अनुसार स्कूल दस्तावेज ही मान्य है, जिसमें वह नाबालिग है. न्यायालय ने सुनवाई के बाद बालिका को नारी निकेतन क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेजने के निर्देश दिए हैं.