जोधपुर. शहर के चार कर्फ्यूग्रस्त थाना क्षेत्रों में लॉकडाउन का पूर्णतया पालना नहीं हो रहा है. साथ ही जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की क्षमता पर सवाल खड़े करते हुए अर्द्धसैनिक बलों को तैनात करने को लेकर अधिवक्ता विवेक श्रीमाली की ओर से दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई.
दायर याचिका पर हुई सुनवाई राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस विजय विश्नोई और जस्टिस मनोजकुमार गर्ग की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता विवेक श्रीमाली ने कहा कि जिला प्रशासन पूरी तरह से राजनीतिक दबाव के चलते जोधपुर में कार्य कर रहा है. जोधपुर कलेक्टर ने आईजी बीएसएफ और डीआईजी सीआरपीएफ को 12 अप्रैल को पत्र लिखकर एक-एक बटालियन की भेजने की मांग की थी. लेकिन 13 अप्रैल को पुलिस उपायुक्त के जरिए अर्द्धसैनिक बलों की आवश्यकता नहीं बताई गई.
पढ़ेंःकोटो में फंसे मध्यप्रदेश के छात्रों की रवानगी...छलका दर्द, कहा- बिहार/झारखंड की सरकारें भी अपने बच्चों के बारे में सोचें
अधिवक्ता ने कहा 12 अप्रैल से 13 अप्रैल महज एक दिन में ऐसा क्या हो गया कि अर्द्धसैनिक बल की आवश्यकता नहीं रही है. इससे यही प्रतीत हो रहा है कि जिला प्रशासन दबाव में ही काम कर रहा है. जिसकी वजह से आमजन में कोरोना वायरस का डर फैल रहा है.
साथ ही यह भी कहा गया कि जोधपुर अपनायत का शहर है. जहां कोरोना मरीजों की स्क्रीनिंग और सर्वे के दौरान स्वास्थकर्मियों के साथ की जा रही बदसलूकी हो रही है, तो पुलिस पर पथराव की घटनाएं हो रही है. सरकार की ओर से महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने पक्ष रखते हुए कहा कि यथासंभव सभी व्यवस्थाए की जा रही है.
पढ़ेंःकोचिंग छात्रों को लेने कोटा पहुंची MP की 143 बसें, आज होगी घर वापसी
वहीं केन्द्र सरकार की ओर से एडिसनल सॉलिसीटर जनरल आरडी रोस्तगी ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बेहतर सुविधाओं का आश्वसन दिया. सभी पक्षो को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के साथ ही फैसला सुरक्षित रखा है. वहीं कोरोना से सम्बंधित अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने अन्य याचिकाओं में कहा कि सरकार और सभी यथा संभव प्रयास कर रहे है. इस पर याचिकाकर्ता शुभम मोदी ने लिबर्टी के साथ अपनी जनहित याचिका को वापस ले लिया.