भोपालगढ़ (जोधपुर).कोरोना वायरस ने शहर के साथ-साथ अब गावों में भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. लोग इससे बचे रहें, इसके लिए घरों में हैं. शहरी क्षेत्रों के लोग गांव की तरफ तेजी से पलायन कर रहे हैं. ऐसे में गावों में खतरा बढ़ता जा रहा है. 70 फीसदी गांव वाली मरुधरा में गांव के लोग कैसे सुरक्षित रह पाएंगे, क्या ग्रामीण कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैयार हैं? इसी का जायजा लेने के लिए भोपालगढ़ तहसील में स्थित गजसिंहपुरा गांव पहुंची.
नागौर और जोधपुर जिले की सीमा पर स्थित यह गांव मैदानी क्षेत्र पर बसा हुआ है. यहां की आबादी करीब 10 हजार से ज्यादा है. कोरोना वायरस की वजह से यहां पर चुनाव नहीं हो पाने से गांव में सरपंच और पंच नहीं हैं. इस गांव के लिए सुकून देने वाली बात यह है कि अभी तक यहां कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज नहीं मिला है.
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जब प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ना शुरू हुए और सरकार ने संपूर्ण लॉकडाउन लागू किया. तब इस गांव के लोगों ने भी सरकार के निर्देशों का पालन करना अपना कर्तव्य समझा. गांव के लोगों ने पहले तो गांव के सभी रास्तों पर स्थानीय पेंटर के मध्यम से कोरोना के प्रति जागरुक करने के लिए स्लोगन और पेंटिंग बनवाई. गांव में जो भी शख्स आता है, पेंटिंग के जरिए कोरोना वायरस से बचने के लिए जागरुक हो जाता है.
गांव के बाहर बेरिकेड्स
ग्रामीणों ने गांव में आने वाले रास्तों को बल्ली और बांस के जरिए बंद कर दिया है. ना कोई गांव के अंदर आता है और ना गांव के कोई बाहर जाता है. गांव के बाहर भी बैरिकेडिंग लगाई गई है. गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि गांव में आने-जाने वालों पर नजर रखने और उसकी पूरी डिटेल मेंटेन करने के लिए पीईईओ राजूराम खदाव और ग्राम विकास अधिकारी भंवरलाल बोराणा की अगुवाई में युवाओं की एक कमेटी बनाई गई है. यह कमेटी रात दिन रास्तों पर नजर रख रही है. ताकि कोई भी बाहरी व्यक्ति गांव में ना आ सके. अगर कोई आता भी है तो उसके लिए गांव में सरकार की तरफ से बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में 14 दिन रहना पड़ता है.