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स्पेशल स्टोरी: आस्था या अंधिवश्वास ! इस तालाब में डुबकी लगाने से भागते हैं भूत

वर्तमान के वैज्ञानिक युग में अगर आपको कोई कहे कि किसी तालाब में नहाने से भूत-प्रेत की साया हट जाता है तो कोई यकीन नहीं करेगा. लेकिन जोधपुर में परचा नाडी के लिए ऐसा माना जाता है कि यहां पर स्नान करने से केवल भूत या बुरी आत्मा के साए से निजात मिलती है.

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Published : Aug 25, 2019, 10:56 PM IST

Parcha Nadi Jodhpur, परचा नाडी जोधपुर

जोधपुर.मसूरिया स्थित बाबा रामदेव मंदिर परिसर में एक ऐसा तालाब है. जिसे परचा नाडी के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से चर्म रोग और कुष्ठ रोग दूर हो जाते हैं. साथ ही यदि किसी व्यक्ति या महिला पर भूत-प्रेत या बुरे साए का प्रकोप है तो श्रद्धालु इस तालाब में आकर डुबकी लगाते हैं. जिससे कि उन्हें भूत प्रेत और बुरे साए से निजात मिलती है.

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एक डुबकी में बुरी आत्मा और चर्म रोग से मिलता है छुटकारा!
भाद्रपद के महीने में जोधपुर के मसूरिया स्थित लोक देवता बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ जी की समाधि स्थल पर सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. वे श्रद्धालु इस पर्चा नाडी में स्नान कर अपने सारे रोग दूर होने की कामना करते हैं. इसे आस्था कहे या अंधविश्वास लेकिन यहां आने वाले लोगों का कहना है कि यहां स्नान करने से उन्हें बुरी आत्मा से छुटकारा मिल जाता है.

जोधपुर: परचा नाडी में नहाने से भूत प्रेत से मिलती है मुक्ति

मसूरिया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ने दी ये जानकारी
वहीं मसूरिया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र चौहान ने बताया कि प्राचीन मंदिर में यह तालाब जिसे परचा नाडी के नाम से जाना जाता है. इस तालाब में स्नान करने से शरीर पर हुए कुष्ठ रोग और चर्म रोगों से निजात मिलती है. साथ ही जिन लोगों पर भूत-प्रेत या बुरा साया होता है. वह लोग यहां पर आकर स्नान करते हैं और उन्हें भूत प्रेत और बुरे साए से मुक्ति मिलती है.

सीसीटीवी फुटेज के साथ भी किया जा रहा है इसका दावा
वहीं सीसीटीवी फुटेज में भी ऐसा ही दावा किया जाता है. सीसीटीवी में देखने को मिली कि एक महिला पर भूत प्रेत और बुरे साए का प्रकोप है. जिसे उसके परिजन तालाब में स्नान करा रहे हैं, स्नान कराने के बाद परिजनों का दावा है कि उसे भूत प्रेत और बुरे साए से मुक्ति मिल गई. मंदिर में आने वाले लाखों की संख्या में श्रद्धालु परचा नाड़ी के पानी को चरणामृत के रूप में अपने साथ लेकर जाते हैं.

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इसे आस्था कहे या फिर अंधविश्वास
वर्तमान के वैज्ञानिक युग में लोग इस बात पर भरोसा करें या ना करें लेकिन अलग-अलग राज्यों से आने वाले सैकड़ों श्रद्धालु आज भी इस बात पर पूर्णतया विश्वास करते हैं और वे लोग आज भी इस मंदिर में आते हैं तो बिना स्नान किए यहां से नहीं जाते.

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