जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल से जुडे मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी और कान्तिलाल की गिरफ्तारी वांरट को जमानती वारंट में तब्दील करते हुए राहत दी है. बता दें कि जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत में अरुण शौरी और कान्तिलाल ने याचिकाए पेश की थी. जिस पर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई.
अरुण शौरी को राजस्थान हाईकोर्ट से राहत याचिकाकर्ता पूर्व केन्द्रीय मंत्री शौरी भी ऑनलाइन कोर्ट से जुड़े रहे. वहीं उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण और जोधपुर से अधिवक्ता प्रदीप शाह ने पक्ष रखा. याचिकाकर्ता की उम्र को देखते हुए कोर्ट ने उनको 15 अक्टूबर तक जमानत मुचलके पेश करने की छूट दी.
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वहीं दूसरे याचिकाकर्ता कान्तिलाल की ओर से अधिवक्ता मुक्तेश माहेश्वरी ने पक्ष रखा और उनको 08 अक्टूबर तक जमानत मुचलके पेश करने के निर्देश दिए गए है. इस मामले में तीन आरोपियों की ओर से मंगलवार को ही याचिका पेश कर दी थी. जिसमें ज्योत्सना सूरी, आशीष गुहा और प्रदीप बैजल शामिल थे. तीनों को कोर्ट ने राहत देते हुए जमानत मुचलके पेश करने के निर्देश दिए थे.
कोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के साथ ही भारत से बाहर विदेश जाने पर भी रोक लगा दी है. कोर्ट ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी पर 15 अक्टूबर तक रोक लगा दी है, लेकिन कोई भी इस दौरान विदेश भी नहीं जा सकेगा. गिरफ्तारी पर रोक लगाने के साथ ही कोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा जारी किए गए आदेश जिसमें गैर जमानती वारंट जारी किए गए थे. उसे बदलते हुए जमानती मुचलके कोर्ट में 8 अक्टूबर तक भरने के निर्देश दिए हैं.
गौरतलब है कि कोर्ट में भारत होटल्स प्रा. लि. की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी की ओर से सांसद पीपी चौधरी ने पैरवी करते हुए कहा था कि जब इस होटल का विनिवेश हुआ था. उस समय तय कीमत से 25 फीसदी ज्यादा रकम पर किया गया था. साथ ही उन्होंने सीबीआई कोर्ट द्वारा सीबीआई द्वारा इस मामले में लगाई गई क्लोजर रिपेार्ट की अनदेखी करने का भी तर्क देते हुए 15 सितंबर को जारी जोधपुर की सीबीआई विशेष अदालत के आदेशों को अपास्त करने की मांग की.
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इस पर कोर्ट ने ज्योत्सना सूरी की याचिका पर अलग से जारी आदेश में उदयपुर कलेक्टर जिसे रिसिवर नियुक्त किया गया था. उसके पत्र का भी हवाला दिया. जिसमें लिखा गया कि होटल का संचालन करने के लिए संसाधन नहीं है. इसके लिए राज्य पर्यटन निगम ने भी मना कर दिया है. जबकि केंद्र के पर्यटन विभाग से जवाब अपेक्षित है. जिसके बाद कोर्ट ने मंगलवार को तीन आरोपियों को राहत दी. वहीं बुधवार को दो आरोपियों को राहत देते हुए अब याचिका पर अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को रखी है.