जोधपुर. ‘अल्सरेटिव कोलाइटिस’ नामक बीमारी से दो साल से पीड़ित एक युवक का जोधपुर एम्स में डॉक्टरों ने रोबोटिक विधि से सर्जरी (large intestine operation by robotic method in Jodhpur AIIMS) कर राहत दी है. पहली बार जोधपुर एम्स में इस प्रकार की सर्जरी की गई है.
डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी में बड़ी आंत के अंदर की सतह में सूजन आ जाती है और उसमें छाले या घाव (अल्सर) होने लगते हैं. इस बीमारी में रोगी को पेट में दर्द, दस्त और मल में खून आने की समस्या हुई. दवाओं के जरिए उसकी ‘अल्सरेटिव कोलाइटिस’ बीमारी का इलाज शुरू किया गया था. लेकिन बीमारी के लक्षणों में सुधार नहीं आ रहा था. इस स्थिति में, उन्हें ‘प्रोक्टो-कोलेक्टॉमी’ नामक सर्जरी कराने की सलाह दी गई.
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प्रोक्टो-कोलेक्टॉमी सर्जरी में मरीज की पूरी खराब बड़ी आंत निकाली गई. सामान्यतः इसके लिए दो से तीन बार सर्जरी करनी पड़ती है और हर बार पेट में लंबे चीरे के माध्यम से सर्जरी की जाती है. लेकिन रोबोटिक सर्जरी से एक बार में कम से कम चीरे से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया.
एम्स के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ एम के गर्ग ने बताया कि अस्पताल में रोबोटिक विधि से सर्जरी होने के कारण अधिक से अधिक मरीजों को इसका लाभ मिला है. एम्स जोधपुर में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में रोबोटिक सर्जरी करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है.
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छोटी आंत का बनाया पाउच
मरीज को एम्स जोधपुर के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में डॉ वैभव वार्ष्णेय की देख-रेख में भर्ती कराया गया. जांच के बाद तय किया गया कि रोबोटिक सर्जरी होगी. यह सर्जरी 8 एमएम के 4 छोटे चीरों के जरिए हुई. इस दौरान बड़ी आंत निकालने के बाद छोटी आंत का पाउच बनाकर मल के रास्ते से जोड़ दिया गया. मरीज की सफल सर्जरी के बाद, डॉ वैभव वार्ष्णेय ने बताया कि, प्रोक्टो कोलेक्टॉमी एक चुनौतीपूर्ण सर्जरी होती है.
जिसमें ऑपरेशन के दौरान अधिक रक्तस्राव और बड़े चीरे के कारण इंन्फेक्शन होने की संभावना भी रहती है. इसके विपरित रोबोटिक विधि की मदद से ऑपरेशन सुरक्षित रूप से छोटे चिरों से संभव हो जाता है. साथ ही मरीज की रिकवरी जल्दी होती है. इस मरीज को सर्जरी के 7 दिन में छुट्टी दे दी गई.