जोधपुर. पुलिस की ओर से फरियादी को टरकाने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. एक ऐसा ही मामला जिले के बनाड़ थानाक्षेत्र में देखने को मिला है. एक युवक की आत्महत्या मामले में कथित उकसाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करवाने गए परिजनों को स्थानीय पुलिस ने कई थानों के चक्कर लगवा दिए. आखिरकार जब परिजनों ने जोधपुर पुलिस कमिश्नर से गुहार लगाई, तब जाकर मामला दर्ज हुआ.
क्या है मामला
दरअसल, बनाड़ रोड पर रमजान जी का हत्था क्षेत्र में रहनेवाले अर्जुन आचार्य का लेनदेन के विवाद के चलते सुनील जाट व अन्य के साथ 4 दिसंबर को झगड़ा हुआ. इस दौरान सुनील व उसके साथियों ने उसकी बलेनो कार उससे छीन ली. परेशान अर्जुन ने परिजनों को सारी बात बताई. उसे डर था कि उसकी गाड़ी अब वापस नहीं आएगी. इसे लेकर अर्जुन के परिजनों ने आरोपियों को समझाने की कोशिश की. लेकिन आरोपी नहीं माने. इस घटना से परेशान अर्जुन घर पर ही रहा. 6 दिसंबर की सुबह घर के बाडे में उसका शव लटका हुआ मिला.
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इसके बाद परिजन सबसे पहले बनाड़ थाने पहुंचे और घटना की जानकारी दी. पुलिस ने सामान्य आत्महत्या बताते हुए कार्रवाई करवा दी, लेकिन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया. परिजनों का आरोप है कि थाना अधिकारी सीताराम खोजा ने उनकी नहीं सुनी और उन्हें महामंदिर थाना भेज दिया. परिजन महामंदिर से रातानाडा थाने गए. वहां पर भी उनका परिवाद दर्ज नहीं हुआ. आखिरकार कमिश्नर कार्यालय उन्हें जाना पड़ा. कमिश्नरेट कार्यालय के हस्तक्षेप से 10 दिसम्बर को रिपोर्ट दर्ज की गई. उसी रिपोर्ट में लिखा गया है कि उन्हें किस तरह से बनाड़ थाने पहुंचने पर पुलिस वालों ने भगा दिया.
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अब सवाल उठता है कि बनाड़ थाने में आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो गई लेकिन उसी रिपोर्ट में पुलिस वालों के खिलाफ भी सब कुछ लिखा हुआ है. उन पर कार्रवाई आखिरकार कौन करेगा? जिससे आने वाले समय में पीड़ितों को परेशानी नहीं उठानी पड़े.