कपासन (चित्तौड़गढ़). शीतला अष्टमी के पर्व पर बड़ी संख्या में सुहागिन महिलाएं माता के मंदिर पहुंच रही हैं. नगर के गुलाबसागर की पाल स्थित शीतला माता स्थानक पर मध्यरात्री के बाद से ही महिलाएं सजधज कर पूजा की थाल हाथों में लिये पहुंची. जहां उन्होने फूल मालाओं और ठंण्डे पकवान का माता जी को भोग लगाया. साथ कथा का श्रवण किया.
सुहागिन महिलाओं ने सच्चे मन सी की माता की पूज बताया जाता है कि रियासत काल में कपासन नगर में जलसा हुआ करता था, यहां शीतला सप्तमी की पूजा की जाती थी. लेकिन राजपरिवार के सदस्य की इस दिन मृत्यू हो जाने से क्षेत्र के लोग इस दिन त्योहार नहीं मनाते. सिर्फ अष्टमी को पूजा करते हैं. वहीं माता के मंदिर में भीड़ उमड़ने से थानाधिकारी हिमाशु सिंह ने मध्यरात्री पश्चात से ही भारी संख्या में पुलिस जाप्ता तैनात कर दिया.
बता दें कि शीतला अष्टमी के दिन सभी घरों में ठण्डा भोजन किया जाता है. चावल और दही से विशेष पकवान बनाया जाता है. जिसे क्षेत्रिय भाषा में ओलिया कहते हैं. इस त्योहार की तैयारियों में महिलाएं एक दिन पहले से ही जुट जाती हैं. शीतला सप्तमी के दिन पुजन के लिये काम में आने वाले सभी पकवानों का निमार्ण किया जाता है.
शीतला माता की पूजा करती महिलाएं भोपालगढ़ में भी शीतला अष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया
भोपालगढ में सोमवार को माता का विशेष पर्व शीतलाष्टमी यानी बास्योड़ा पारंपरिक रीति रिवाज से मनाया जा रहा है. उपखंड क्षेत्र के विभिन्न माताजी के मंदिरों में शीतलाष्टमी की पूजा-अर्चना की जा रही है. इस अवसर पर सभी भक्तों ने माता से अच्छे स्वास्थ्य की कामना की. आसोप स्तिथ माताजी के मंदिर में शीतलाष्टमी के अवसर पर भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. सुबह से ही माता के भक्तों के आने का सिलसिला जारी है. भक्त माता के दरबार में पकवानों का भोग लगा रहे हैं.
शीतला अष्टमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया पढ़ें-गुजरात कांग्रेस के और 21 विधायक पहुंचे शिव विलास रिसॉर्ट जयपुर, अबतक कुल 35 विधायक जुटे
शीतलाष्टमी के एक दिन पहले घर-घर में पकवान बनाए जाते हैं. जिसके बाद शीतलाष्टमी के दिन सभी ठंडे पकवानों का माताजी के दरबार में भोग लगाया जा रहा है. भक्तों ने माताजी को पुरी, राबड़ी, दूध, दही, पापड़ी, पेठा, हलवा, मुगथाल, नमकीन सहित अनेक पकवानों का भोग लगाया. श्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी बच्चा जन्म लेता है, उसको माता रानी के दरबार में लाने से चेचक का रोग नहीं होता है. अगर किसी के चेचक हो जाता है, तो माता रानी की शरण में यह रोग हमेशा के लिए मिट जाता है. वहीं महिलाओं ने माता के गीत गाते हुए परिवार की खुशहाली की कामना की. साथ ही माता मंदिर में एक दिन पहले रात्रि जागरण भी किया गया.