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SPECIAL: न्यूनतम मंडी टैक्स लागू हो तो किसानों और राज्य सरकार दोनों का मिलेगा लाभ, मंडी व्यवस्था भी होगी मजबूत

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Published : Dec 16, 2020, 5:14 PM IST

जोधपुर में राज्य सरकार की ओर से मंडी टैक्स में वृद्धि करने से लगातार यहां का माल दूसरे प्रदेशों में भेजा जा रहा है. इससे सरकार को मंडी टैक्स का तो नुकसान हो ही रहा है, जीएसटी का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि अगर राज्य सरकार पड़ोसी राज्य गुजरात और मध्यप्रदेश की तरह न्यूनतम मंडी टैक्स लागू कर दे तो मंडियों में काम भी बढ़ेगा और राज्य सरकार का राजस्व भी. पढ़ें पूरी खबर...

राजस्थान की मंडिया, Mandis of rajasthan
राज्य सरकार मंडी टैक्स कम करे तो किसानों को होगा फायदा

जोधपुर.राज्य सरकार केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में है. प्रदेश सरकार के अनुसार अगर यह कानून लागू होते हैं तो मंडियां बंद हो जाएंगी जिससे किसान और सरकार दोनों को नुकसान होगा. लेकिन प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से मंडी टैक्स में वृद्धि करने से लगातार यहां का माल दूसरे प्रदेशों में भेजा जा रहा है. इससे सरकार को मंडी टैक्स का तो नुकसान हो ही रहा है, जीएसटी का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.

राज्य सरकार मंडी टैक्स कम करे तो किसानों को होगा फायदा

अगर राज्य सरकार पड़ोसी राज्य गुजरात और मध्यप्रदेश की तरह न्यूनतम मंडी टैक्स लगा दे तो मंडियों में काम बढ़ेगा और राज्य सरकार का राजस्व भी. उस स्थिति में केंद्र के कृषि कानून का असर भी नहीं होगा. जोधपुर में जिंस के व्यापारियों का कहना है कि सरकार गुजरात और मध्यप्रदेश की तर्ज पर सभी जिंसों पर 0.50 फीसदी टैक्स लगा दे तो किसान को अपनी फसल बाहर नहीं बेचनी पड़ेगी.

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जोधपुर जीरा मंडी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम मूंदड़ा का कहना है कि अभी प्रदेश में मूंगफली की बम्पर आवक है, लेकिन बाहर के व्यापारी किसान बनकर दूसरे राज्यों में ले जा रहे है. क्योंकि राजस्थान में दो फीसदी टैक्स इस अंतर में व्यापारी अपना बड़ा टर्न ओवर कर काम लेते हैं, और जीएसटी और मंडी टैक्स का नुकसान राज्य सरकार को उठाना पड़ रहा है, लेकिन सरकार मंडी टैक्स को कम करने के बजाय इसे अलग अलग जिंसों के हिसाब से वसूल कर रही है.

जोधपुर मंडियों भरा माल

राजस्थान में वर्तमान में अधिकतम 3 फीसदी तक मंडी टैक्स वसूला जा रहा है. जिसमें कृषक कल्याण के नाम पर सेस भी शामिल है. इतना ही नहीं राज्य सरकार की ओर से कहीं भी फसल की बिक्री को यार्ड क्षेत्र में ही बिक्री मानने की व्यवस्था लागू करने से खास तौर से मिल मालिकों को इससे परेशानी है.

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ग्वारगम से मिल उद्योग से जुडे़ श्रेयांस मेहता का कहना है कि इससे इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिल रहा है. क्योंकि अगर मिल मालिक ने मंडी से बाहर माल खरीदा है उसके टैक्स की जांच के नाम पर निरीक्षकों को प्रश्रय मिलने लगा है. वे किसी भी जिंस इंडस्ट्रीज की अपनी इच्छा से जांच कर सकेंगे. जो बहुत परेशानी वाला होगा.

जोधपुर की जिंस जीरा मंडी

यूं होगा सरकार को फायदाः

वर्तमान में कम टैक्स के चलते गुजराज और मध्यप्रदेश में जिंसों के भाव मंडियों में ज्यदा मिलते हैं. राजस्थान में व्यापारी को टैक्स चुकाना होता है तो भावों में नियंत्रित तेजी होती है. अगर सरकार पड़ोसी राज्यों के बराबर टैक्स लागू कर दे तो वहां जा रही फसलें राज्य की मंडी आएगी तो सरकार को व्यापारी से जीएसटी भी मिलेगा जिसका फिलहाल नुकसान हो रहा है. इसके अलावा मंडी व्यवस्था और मजबूत होगी.

जीरों का भंडार

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ज्यादा टैक्स से किसानों को नुकसानः

जोधपुर ग्वारगम मिल एसोसिएशन के सचिव श्रेयांस मेहता बताते हैं कि व्यापारी जो किसान से खरीद करेगा वह टैक्स चुकाने के लिए किसान को भाव कम देगा. जिसका सीधा नुकसान किसान को होगा. अगर मंडी टैक्स कम होगा तो मिल व्यापारी मंडियों से माल लेंगे तो सरकार को राजस्व मिलेगा.

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