जोधपुर.राज्य सरकार केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में है. प्रदेश सरकार के अनुसार अगर यह कानून लागू होते हैं तो मंडियां बंद हो जाएंगी जिससे किसान और सरकार दोनों को नुकसान होगा. लेकिन प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से मंडी टैक्स में वृद्धि करने से लगातार यहां का माल दूसरे प्रदेशों में भेजा जा रहा है. इससे सरकार को मंडी टैक्स का तो नुकसान हो ही रहा है, जीएसटी का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.
अगर राज्य सरकार पड़ोसी राज्य गुजरात और मध्यप्रदेश की तरह न्यूनतम मंडी टैक्स लगा दे तो मंडियों में काम बढ़ेगा और राज्य सरकार का राजस्व भी. उस स्थिति में केंद्र के कृषि कानून का असर भी नहीं होगा. जोधपुर में जिंस के व्यापारियों का कहना है कि सरकार गुजरात और मध्यप्रदेश की तर्ज पर सभी जिंसों पर 0.50 फीसदी टैक्स लगा दे तो किसान को अपनी फसल बाहर नहीं बेचनी पड़ेगी.
जोधपुर जीरा मंडी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम मूंदड़ा का कहना है कि अभी प्रदेश में मूंगफली की बम्पर आवक है, लेकिन बाहर के व्यापारी किसान बनकर दूसरे राज्यों में ले जा रहे है. क्योंकि राजस्थान में दो फीसदी टैक्स इस अंतर में व्यापारी अपना बड़ा टर्न ओवर कर काम लेते हैं, और जीएसटी और मंडी टैक्स का नुकसान राज्य सरकार को उठाना पड़ रहा है, लेकिन सरकार मंडी टैक्स को कम करने के बजाय इसे अलग अलग जिंसों के हिसाब से वसूल कर रही है.
राजस्थान में वर्तमान में अधिकतम 3 फीसदी तक मंडी टैक्स वसूला जा रहा है. जिसमें कृषक कल्याण के नाम पर सेस भी शामिल है. इतना ही नहीं राज्य सरकार की ओर से कहीं भी फसल की बिक्री को यार्ड क्षेत्र में ही बिक्री मानने की व्यवस्था लागू करने से खास तौर से मिल मालिकों को इससे परेशानी है.