जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता की अदालत ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान बाल कल्याण समिति, पाली के रिकॉर्ड सीज करने के आदेश पाली कलेक्टर को दिए हैं. कलेक्टर को कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के तहत कुछ बिंदुओं पर रिकॉर्ड की जांच कर कोर्ट के समक्ष पेश करनी है. इससे पहले न्यायालय गत सुनवाई में समिति के चेयरमैन के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे चुका है.
दरअसल, पाली बाल कल्याण समिति के चेयरमैन दुर्गाराम आर्य ने युवती को नाबालिग बताते हुए उसे जोधपुर के बाल सुधार गृह में रखने के आदेश दिए. जबकि युवती बालिग थी उसके दस्तावेज मिलने के बाद भी उसे फिर भी बाल सुधार गृह से रिहा करने के लिए दुर्गाराम आर्य ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की. इस पर युवती ने अपने परिजनों के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. इसके बाद नोटिस जारी होने पर युवती को छोड़ने को कार्यवाही शुरू की.