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कजरी तीज पर राम से मिलीं सीता, आधार कार्ड बना जरिया - जोधपुर जिला प्रशासन

जोधपुर में 2014 से नारी निकेतन में रह रही मूक बधिर महिला सीता को रविवार को करजी तीज के दिन उसके बिछड़े पति और परिवार से मिलाया गया. आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया के दौरान उसका नाम पता चल पाया. जिला प्रशासन ने आधार प्राधिकरण से संपर्क कर उसके बारे में जानकारी प्राप्त की और पति रामफूल को सूचना दी. इस पर पूरा परिवार नारी निकेतन आकर महिला को साथ ले गया.

deaf and dum woman met her family
deaf and dum woman met her family

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Published : Aug 14, 2022, 4:10 PM IST

Updated : Aug 14, 2022, 5:23 PM IST

जोधपुर.अगर किसी का आधार कार्ड बना हुआ है और वह परिवार से बिछड़ गया है तो आधार उसे परिवार से मिलाने का बड़ा जरिया बन सकता है. जोधपुर जिला प्रशासन और नारी निकेतन (Jodhpur nari niketan) के प्रयासों से ऐसा संभव भी हुआ है. नारी निकेतन में लंबे समय से परिवार से बिछड़कर रह रही एक मूक बधिर महिला (deaf and dum woman met her family) को रविवार को उसके परिवार से मिलाया गया. बरसों से अपनों से बिछड़कर रह रही महिला पति से मिली तो उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े.

आज का दिन एक सुहागन के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज कजरी तीज है. इस दिन अपने सुहाग की सलामती के लिए व्रत रखती हैं. कजरी तीज के मौके पर नारी निकेतन में रह रही मूक बधिर महिला सीता को उसके पति रामफूल से मिलाया गया. महिला का पति, ननद सहित पूरा परिवार उसे लेने आया. महिला के साथ उसके दो बच्चों को भी विदा किया गया.

परिवार से मिली मूक बधिर सीता

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नारी निकेतन की अधीक्षक रेखा शेखावत ने बताया कि वर्ष 2014 में अपने परिवार से बिछड़ने के बाद मूक बधिर महिला को कोई जानकारी उपलब्ध न होने पर और महिला की तरफ से भी किसी भी तरह के जानकारी देने में असमर्थता होने पर उपखंड मजिस्ट्रेट जैतारण पाली की ओर से महिला को परिवारजन का पता लगने तक नारी निकेतन जोधपुर भेज दिया गया. उस समय महिला के साथ उसकी एक पुत्री और पुत्र भी थे, लेकिन उनकी उम्र इतनी कम थी कि वे भी कुछ नहीं बता सके.

महिला मूक बधिर व अनपढ़ थी. वह भी कुछ बताने में असमर्थ थी. केंद्र से लगातार उसके पुनर्वास के प्रयास किए जाने लगे लेकिन उसके मूक बघिर होने से सफलता नहीं मिली. इस दौरान उसका नाम सरिता रखा गया क्योंकि वह नाम नही बता पाई थी.

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आधार से खुली राह
महिला की स्थिति देख अधीक्षक को लगा कि इसका परिवार जरूर होगा जिससे महिला का परिवार में पुनर्वास करने के लिए लगातार प्रयास किए गए किंतु सफलता नहीं मिली. अधीक्षक ने पुनर्वास के प्रयासों के क्रम में गत दिनों महिला का आधार कार्ड बनवाने का प्रयास किया. आधार कार्ड केंद्र पर महिला का रिकार्ड डुप्लिकेट आने पर आईटी विभाग से संपर्क किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद विभाग के उपनिदेशक और जोधपुर कलेक्टर के समक्ष प्रकरण रखा गया.

कलेक्टर हिमांशु गुप्ता की ओर से प्रबंध निदेशक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से महिला का प्रकरण बताकर मदद मांगी गई. प्राधिकरण ने जिला प्रशासन को सूचित किया कि महिला मूल रूप से सवाई माधोपुर जिले के बोवली थाना क्षेत्र की रहने वाली है. इसके बाद पुलिस वेरिफिकेशन करवाया गया. परिवार को जब सरिता के बारे में जानकारी तो वे भी बेबद खुश हुए और फिर रविवार को सभी उसे लेने आए.

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बिना बताए बच्चों को लेकर निकली थी
आधार कार्ड से पता चला कि सरिता का असली नाम सीता है. सीता को लेने आए पति रामफूल ने बताया कि वह मजदूरी करता हैं. उस दिन भी वह मजदूरी करने ही गया था. सीता दो छोटे बच्चों को साथ लेकर बिना बताए ही कहीं निकल गई. जबकि उसके दो बच्चे घर पर ही थे. उसकी बहुत तलाश की. सीता का पता लगाने में पैसे भी खर्च हुए और वह करीब दो लाख कर्ज में डूब गया लेकिन कुछ पता नहीं चला. आज भी मजदूरी कर बच्चों का पेट पाल रहा है. उसने कहा कि पत्नी के साथ बिछड़े हुए दो बच्चे भी मिल गए हैं, अब परिवार पूरा हो गया है. वह बहुत खुश है.

Last Updated : Aug 14, 2022, 5:23 PM IST

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