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जोधपुर रक्षा प्रयोगशाला की ये नई तकनीकी दुश्मनों के मिसाइल से बचाएगी भारतीय लड़ाकू विमानों को

जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला की ओर से चैफ एडवांस तकनीक विकसित की गई है. यह तकनिक नौसेना के जहाजों के साथ ही साथ भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों को भी मिसाइल से बचाएगी.

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Published : Aug 25, 2021, 3:04 PM IST

Updated : Aug 25, 2021, 3:35 PM IST

चैफ एडवांस तकनीक, Chaff Advance technology
चैफ एडवांस तकनीक

जोधपुर.रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर की ओर से विकसित की गई चैफ एडवांस तकनीक नौसेना के जहाजों के साथ-साथ भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों को भी मिसाइल से बचाएगी. इसके लिए जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला ने लड़ाकू विमानों में काम आने वाले चेक कार्टिलेज विकसित कर लिए हैं. इसका सफल ट्रायल भी किया जा चुका है.

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महज 100 ग्राम वजन के कार्टिलेज से कई सौ करोड़ के लड़ाकू जहाज को मिसाइल के हमले से बचाया जा सकेगा. उड़ान भरते समय अगर किसी लड़ाकू विमान के पायलट को पता चलेगा कि उसका प्लेन मिसाइल लॉक हो गया है तो वह इस तकनीक का प्रयोग कर क्लाउड बनाएगा. इससे राडार गाइडेड मिसाइल भ्रमित हो जाएगी और फाइटर प्लेन बच जाएगा. उन्होंने बताया कि चैफ तकनीक का प्रयोग सुखोई और राफेल जैसे लड़ाकू विमानों में भी किया जा सकेगा.

जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला में विकसित हुई चैफ एडवांस तकनीक

बुधवार को रक्षा प्रयोगशाला में आयोजित प्रेस वार्ता में डीआरडीओ जोधपुर के निदेशक डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि एयरक्राफ्ट के लिए जो तकनीक विकसित की गई है वह भारत के सभी लड़ाकू विमानों में काम आएगी.

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उन्होंने बताया कि चैफ तकनीक अब तक जो देश काम में ले रहे थे उस पर उनका ही अधिकार था. हमें भी उन पर निर्भर रहना पड़ता थी, लेकिन अब हमने अपने स्तर पर उनसे भी एडवांस तकनीक विकसित कर ली है जो वर्तमान में किसी भी देश के पास नहीं है. खास बात यह है कि इस तकनीक में पूरी तरह से भारतीय सामग्री का उपयोग किया गया है इनमें कई महत्वपूर्ण चीजें तो जोधपुर में ही विकसित की गई है.

प्रतिदिन 10 लाख मीटर उत्पादन

डॉ, रविंद्र कुमार ने बताया कि इस तकनीक में जो पार्टिकल काम में लिए जा रहे हैं तो बहुत महीन एलुमिनियम धातु से बने होते हैं. वर्तमान में प्रतिदिन 10 लाख मीटर हम इसका उत्पादन कर रहे हैं. यह तकनीक निजी क्षेत्र को हस्तांतरित की गई है.

वर्चुअल ट्रेनिंग शुरू

निदेशक ने बताया कि इस तकनीक का प्रयोग विमान को बचाने के लिए सेकेंड के 500 के हिस्से में करना होता है. यानी कि बहुत तेजी से हालात का विश्लेषण कर पायलट को कार्टिलेज छोड़ना होता है. इसके लिए हमने वर्चुअल ट्रेडिंग सिस्टम तैयार कर दिया है. इसका शुभारंभ हो चुका है और उस पर सारे पायलेट की ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है. जिससे युद्ध हालात में कोई परेशानी नहीं हो.

Last Updated : Aug 25, 2021, 3:35 PM IST

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