जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस दिनेश मेहता ने गुरुवार को नर्स ग्रेड-द्वितीय भर्ती के मामले में एक याचिका की सुनवाई में महत्वपूर्ण आदेश जारी किए. जिसके चलते उन्होंने मेरिट में आ चुके याचिकाकर्ता बीकानेर निवासी इंदरपाल बेनीवाल सहित समस्त अन्य अभ्यर्थियों को जल्द से जल्द, लेकिन हर हालत में 31 अक्टूबर से पहले नियुक्ति पत्र जारी करने के निर्देश दिए. साथ ही उसे नोशनल परिलाभ के साथ वरीयता आदि दिए जाने के भी निर्देश दिए.
बता दें कि अपनी ही तरह के अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दिए जाने व याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं देने को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह स्वीकार किया गया कि पीपीपी मोड पर कार्यरत अभ्यर्थियों को अभी नियुक्ति दिया जाना शेष है. साथ ही इस वर्ग में एक भी अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं दी गयी है. कांता खतूरिया कॉलोनी निवासी याचिकाकर्ता इंदरपाल बेनीवाल की ओर से जित्सी मीट एप्प पर वीसी से पैरवी करते हुए अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कहा कि याचिकाकर्ता को 75.010 अंक प्राप्त हुए, जबकि ओबीसी वर्ग का कटऑफ 72.32 फीसदी रहा.
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का चयन मेरिट सूचि में हो चुका है और उसके दस्तावेजों का वेरिफिकेशन भी तीन बार हो चुका है. उसके अन्य पिछड़ा वर्ग में अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा चुकी है, जबकि याचिकाकर्ता को नियुक्ति से वंचित कर दिया गया है. इसी माह में लगातार 9 बार सुनवाई के बाद सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने वीसी पर पक्ष रखते हुए स्वीकार किया कि कुछ वर्गों को अभी नियुक्तियां देनी शेष हैं, जो जल्द ही दे दी जाएंगी. उन्होंने माना कि याचिकाकर्ता योग्य एवं नियुक्ति प्राप्त करने का हकदार है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन तथा अन्य कार्यों के दबाव के चलते विभाग की ओर से याचिकाकर्ता एवं इसी तरह के अन्य लोगों को नियक्ति पत्र जारी नहीं किए जा सके हैं.
नियुक्ति में देरी के लिए विभाग जिम्मेदार