राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

दोपहर को परिणाम जारी, शाम को दे दी नियुक्ति, 6 के खिलाफ मामला दर्ज - Dr Sarvepalli Radhakrishnan Rajasthan Ayurved University

जोधपुर के डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय में साल 2015 में हुई कनिष्ठ लिपिक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है. कोर्ट के आदेश पर इस संबंध में वर्तमान व तत्कालीन रजिस्ट्रार सहित 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि जिस दिन साक्षात्कार के रिजल्ट घोषित किए गए, उसी दिन 6 संविदाकर्मियों को नियुक्ति दे दी गई.

Case filed against 6 accused in Junior clerk recruitment in DSRRAU
दोपहर को परिणाम जारी, शाम को दे दी नियुक्ति, वर्तमान व तत्कालीन रजिस्ट्रार सहित 6 के खिलाफ मामला दर्ज

By

Published : Aug 18, 2022, 5:17 PM IST

जोधपुर.डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वर्ष 2015 में हुई कनिष्ठ लिपिक भर्ती मामला (Junior clerk recruitment in DSRRAU)फिर चर्चा में है. एक अभ्यर्थी ने इस मामले में विश्वविद्यालय की तत्कालीन रजिस्ट्रार सहित अन्य कर्मचारियेां के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद दिया था. इसक बाद कोर्ट के जांच के आदेश पर करवड़ थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. प्रकरण में विश्वविद्यालय की तत्कालीन रजिस्ट्रार आरएएस अधिकारी वीणा लाहोटी को नामजद आरोपी बनाया गया है.

करवड़ थानाधिकारी कैलाशदान ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर मामला दर्ज किया गया (Case filed in Junior clerk recruitment in DSRRAU) है. जिसकी जांच प्रशिक्षु अधिकारी चंद्रकिशोर कर रहे हैं. मामले के अनुसार 2014 में विश्वविद्यालय ने कुल 14 पदों के लिए कनिष्ठ लिपिक की भर्ती निकाली थी. फरवरी में परीक्षा हुई थी और साक्षात्कार जुलाई में हुए. जिस दिन साक्षात्कार के परिणाम जारी हुए उसी दिन विश्वविद्यालय में संविदा पर काम करने वाले छह संविदाकर्मियों को नियुक्ति दे दी गई.

पढ़ें:Neet UG 2022 : परीक्षा में हुई गड़बड़ियों पर NTA ने साधी चुप्पी, Students असमंजस में

बड़े स्तर पर गड़बड़झाले का आरोप लगाते हुए कुड़ी भगतासनी निवासी अभ्यर्थी कमलेश सिहाग ने पहले पुलिस में मामला दर्ज करवाने की कोशिश की. लेकिन मामला दर्ज नहीं किया गया, तो न्यायालय में परिवाद पेश किया गया. न्यायालय के आदेश पर मामला दर्ज हुआ है. छह संविदाकर्मियों की नियुक्ति के साथ अन्य दो अभ्यर्थियों की नियुक्ति को लेकर भी तथ्य कोर्ट में पेश किए गए थे. परिवाद में वीणा लाहोटी के अलावा डिप्टी रजिस्ट्रार महेद्र सिंह, भर्ती परीक्षा नियंत्रक शशिशेखर जोशी, कर्मचारी विनित पुरोहित, बंशीधर जैन व विश्वविद्यालय के वर्तमान रजिस्ट्रार को भी आरोपी बनाया गया है. बताया गया है कि 6 अभ्यर्थियों के भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा रिकार्ड भी गायब है.

पढ़ें:शिकायतकर्ता को ही ब्लैकलिस्ट करने पर हाई कोर्ट ने आरयू से मांगा जवाब

परिणाम के दिन ज्वाइनिंग संदेह के घेरे में:आयुर्वेद विश्वविद्यालय की यह भर्ती पहले भी चर्चा में रही है. विश्वविद्यालय ने 9 जुलाई, 2015 को 14 पदों के विरुद्ध 40 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार करवाया. अगले दिन 10 जुलाई को साक्षात्कार का परिणाम जारी किया गया. उसी दिन विश्वविद्यालय में काम करने वाले 6 संविदाकर्मियों को नियुक्ति दे दी गई. जिसको लेकर भर्ती के समय भी विवाद हुआ. जिसकी जांच वीणा लोहाटी के पति रतन लाहोटी ने की. लेकिन उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई. अभ्यर्थी कमलेश ने इसको लेकर कई प्रयास किए, लेकिन विश्वविद्यालय ने उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया था.

पढ़ें:CBI ने नीट परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया, मास्टरमाइंड सहित आठ गिरफ्तार

संविदाकर्मियों को पहले से पता था कि चयन होगा: न्यायालय में दिए गए परिवाद में कमलेश सिहाग ने आरोप लगाया कि 10 जुलाई को साक्षात्कार का परिणाम आया. उसी दिन बद्रीनारायण, शिवेंद्र सिंह टाक, दुर्गाराम थाकन, मुकेश यादव, महेंद्र खटोड व जसवंतसिंह जो संविदाकर्मी थे, उनको कनिष्ठ लिपिक पद पर नियुक्ति दे दी. जिसके लिए सभी ने अपने मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत किए.

संदेह इस बात का है कि परिणाम 10 जुलाई की दोपहर को जारी हुआ, तो उसके तुरंत बाद अभ्यर्थी सरकारी अस्पताल का मेडिकल सर्टिफिकेट कैले लेकर आए? क्योंकि सरकारी अस्पताल में जाकर स्वास्थ्य जांच, रिपोर्ट और वापस विश्वविद्यालय पहुंचना कुछ घंटों में आसान नहीं है. ऐसे में अंदेशा है कि संविदाकर्मियों को पहले से पता था कि उनका चयन होगा. उन्होंने अपने प्रमाण पत्र बनवा लिए थे. जिन्हें 10 जुलाई को पेश कर दिया गया. विश्वविद्यालय प्रबंधन पर भी सवाल इस बात को लेकर उठाया गया है कि नियुक्ति देने में इतनी जल्दी क्यों की गई?

ABOUT THE AUTHOR

...view details