जोधपुर.महात्मा गांधी अस्पताल के सर्जरी विभाग में बुधवार को दस वर्षीय बालिका के पेट से बालों का गुच्छा निकाला (bunch of hair stuck in girl stomach) है. बालिका के भूख नहीं लगने और कुछ खाने पर उल्टियां होने व पेट के ऊपरी हिस्से में गांठ जैसा महसूस होने की शिकायत पर परिजन उसे एमडीएम अस्पताल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में लेकर गए थे. जांच में पता चला कि बालिका ट्राइकोबेजोर नाम की बीमारी से ग्रसित (girl suffering from Trichobezoar disease) है.
डॉ. सुनील दाधीच इंडोस्कोपी के जरिए इस बाल के गुच्छे को निकालने की कोशिश की. बाल का गुच्छा बड़ा होने के कारण निकल नहीं पाया. इसके बाद उन्होंने परिजनों को सर्जरी की सलाह दी. इस पर मरीज के रिश्तेदार और परिजनों ने बालिका की सर्जरी करवाने के लिए महात्मा गांधी अस्पताल (Mahatma Gandhi Hospital latest news) में डॉक्टर दिनेश दत्त शर्मा की यूनिट में भर्ती करवाया.
पढ़ें.महिला के गर्भाशय से निकाली 8 किलो की गांठ, जयपुर के जनाना अस्पताल में हुआ सफल ऑपरेशन
डॉ शर्मा ने बताया कि केस स्टडी पर पर पता लगा कि बालिका को बाल खाने की आदत थी. वह अपने बालों को ही तोड़-तोड़कर खाती थी. मरीज की इस आदत को छुड़ाने के लिए परिजनों ने काफी जतन किए पर लेकिन असफल रहे. इस आदत को ट्राइकोफेजिया कहते हैं. बाल खाने की इस आदत की वजह से यह बाल शरीर की आहार नाल में इकट्ठा होना शुरू हो गया.
मुनष्य में बाल पचाने की क्षमता नहीं
डॉ. शर्मा ने बताया कि अमाशय में इकट्ठा होने से जो बालों का गुच्छा बनता है, उसको ट्राइकोबेजोर (हेयर बॉल) कहा जाता है, क्योंकि बाल को पचाने की क्षमता मनुष्य के आहार नाल में नहीं होती है. इस वजह से यह एक जगह एकत्र होकर बालों का गुच्छा बना देते हैं. यह बीमारी साधारणतया मानसिक रूप से कमजोर, विक्षिप्त एवं असामान्य व्यवहार करने वाली महिलाएं जो 15 से 30 साल की उम्र की होती है उनमें होती है. हालांकि इस मरीज में मानसिक कमजोरी या विक्षिप्तता जैसे कोई लक्षण नहीं थे फिर भी बाल खाने की आदत की वजह से यह बीमारी हुई है.
पढ़ें.जयपुर : ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन, मरीज खतरे से बाहर
आंत हुई ब्लॉक, गुच्छे ने ली आमाश्य की शक्ल
बाल के गुच्छे ने अमाशय एवं छोटी आंत के शुरुआती भाग को पूर्ण रूप से ब्लॉक कर दिया था. इस कारण बालिका जो भी खाती थी वह आंतों में रुकावट के कारण आगे नहीं जा पा रहा था और उसे उल्टियां हो रहीं थीं. सभी जांच करवा कर इमरजेंसी ऑपरेशन प्लान किया गया. बालिका का ऑपरेशन कर इस बाल के गुच्छे को शरीर से बाहर निकाला गया. इस बाल के गुच्छे की लंबाई लगभग 25 इंच एवं आमाशय वाले हिस्से में यह आमाशय का आकार लेते हुए जम गया था.
निशुल्क हुआ ऑपरेशन
डॉ. शर्मा के मुताबिक यह ऑपरेशन पूरी तरह से निशुल्क किया गया. ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है. ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. शर्मा के साथ डॉ. यदुनाथ एवं डॉ. सुनील मीणा, एनेस्थीसिया टीम में डॉ. फतेह सिंह भाटी, डॉ. भरत चौधरी एवं डॉ. रश्मि स्याल समेत नर्सिंग स्टाफ था. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दिलीप कच्छावा और एमजीएच अधीक्षक डॉ. राजश्री बेहरा ने इस सफल ऑपरेशन के लिए टीम को बधाई दी है.