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भंवरी देवी अपहरण व हत्या मामला: सुप्रीम कोर्ट में सह आरोपी परसराम ने बचाव में साक्ष्य पेश करने से किया इंकार - जोधपुर न्यूज

बहुचर्चित एएनएम भंवरी देवी अपहरण व हत्या के मामले में सह आरोपी परसराम विश्नोई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी पर सुनवाई के दौरान कहा गया कि ट्रायल कोर्ट में परसराम बचाव में साक्ष्य पेश नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय किशन कौल व न्यायाधीश हेमन्त गुप्ता की बैंच में परसराम की ओर से दायर एसएलपी पर सुनवाई हुई.

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भंवरी देवी अपहरण व हत्या मामला

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Published : Apr 14, 2021, 10:52 PM IST

जोधपुर.बहुचर्चित एएनएम भंवरी देवी अपहरण व हत्या के मामले में सह आरोपी परसराम विश्नोई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी पर सुनवाई के दौरान कहा गया कि ट्रायल कोर्ट में बचाव में साक्ष्य पेश नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय किशन कौल व न्यायाधीश हेमन्त गुप्ता की बैंच में परसराम की ओर से दायर एसएलपी पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से एएसजी एसवी राजू ने 22 फरवरी 2021 के आदेश की पालना में रिपोर्ट पेश कर बताया गया कि अनुसूचित जाति जनजाति अदालत में मामले का विचारण चल रहा है. जिसमें अब तक प्रतिदिन सुनवाई करते हुए 17 मे से 10 आरोपियों के बयान दर्ज कर लिये गये हैं और आरोपी बचाव साक्ष्य में गवाहों का परीक्षण करवाने चाहते हैं.

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वही अपीलकर्ता परसराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि परसराम बचाव में साक्ष्य पेश नहीं करना चाहता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 जुलाई 2021 को अगली सुनवाई मुकरर्र की है. गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने 20 जुलाई 2020 को परसराम विश्नोई की ओर से पेश जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. परसराम की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष सातवीं बार जमानत याचिका पेश की गई थी.

परसराम ने उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका को खारिज करने पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी के जरिये चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने 22 फरवरी 2021 को सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किये थे कि ट्रायल कोर्ट प्रतिदिन सुनवाई करते हुए आरोपियों के बयान मुलजिम दर्ज कर रिपोर्ट पेश करे. SC में अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी, अधिवक्ता संजय विश्नोई, अधिवक्ता हेमन्त नाहटा ने पक्ष रखते हुए बताया कि साल 2011 से मामला विचाराधीन है. जिसकी ट्रायल 2014 में शुरू की गई है. मामले में अभी तक केवल अभियोजन पक्ष की ओर से अपने सभी गवाहों 197 के बयान करवाये हैं और उसके बाद बयान मुलजिम शुरू हुए हैं.

लेकिन अभी तक केवल तीन के ही पूरे हुए हैं. जबकि मामले में कुल 17 जनों को आरोपी बनाया गया है. ट्रायल कोर्ट में मंथर गति से ट्रायल चल रही है. जिसका खामियाजा मुलजिमों को उठाना पड़ रहा है. करीब दस साल पूरे होने को हैं लेकिन अभी तक बयान मुलजिम तक पूरे नहीं हो पाये हैं. मामले में पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा, पूर्व विधायक मलखान सिंह सहित 17 आरोपी हैं. मामले में सीबीआई ने साल 2012 में चालान पेश कर दिया था.

बयान मुलजिम में प्रत्येक मुलजिम से करीब एक हजार सवाल पूछे जा रहे हैं. ऐसे में समय ज्यादा लग रहा है. सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिये थे कि अप्रैल तक सभी मुलजिम के बयान पूरे करें और किन-किन मुलजिम की ओर से बचाव मे गवाह पेश किये जाने हैं इसको लेकर पूरी स्टेटस रिपोर्ट अगली सुनवाई पर सर्वोच्च न्यायालय में पेश की जाये. सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रतिदिन सुनवाई करते हुए या फिर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करें.

जिस पर 12 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि अभी तक 10 आरोपियों के बयान मुलजिम हो चुके हैं. जिनमें परसराम बचाव साक्ष्य पेश नहीं करना चाहते. इस मामले में अब सर्वोच्च न्यायालय में 5 जुलाई 2021 को अगली सुनवाई होगी.

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