जोधपुर. जोधपुर सेंट्रल जेल में यौन उत्पीड़न के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम ने एक बार फिर राजस्थान हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश करते हुए दो महीने की अंतरिम जमानत मांगी है. आसाराम ने कोविड-19 सहित अन्य बीमारियों का उपचार कराने के लिए अंतरिम जमानत मांगी है.
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सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ ने एम्स अस्पताल जोधपुर से मेडिकल रिपोर्ट मांगी है. अब इस मामले में 13 मई को रिपोर्ट आने पर अगली सुनवाई होगी. हाईकोर्ट की खंडपीठ में आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जगमालसिंह चौधरी और उनके सहयोगी प्रदीप सिंह चौधरी ने पैरवी करते हुए कहा कि कोविड-19 के उपचार सहित अन्य बीमारियों के उपचार के लिए याची जोधपुर से बाहर हायर चिकित्सा सेंटर में उपचार करवाना चाहता है, जिसके लिए दो महीने की अंतरिम जमानत दी जाए.
मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के आदेश
हाईकोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता अनिल जोशी को एम्स अस्पताल से मेडिकल रिपोर्ट मंगवाकर पेश करने के निर्देश दिए हैं. जोधपुर की सेंट्रल जेल में आसाराम की तबीयत बिगड़ने पर आसाराम को 6 दिन पहले महात्मा गांधी अस्पताल लाया गया था. वहां जांच में कोरोना संक्रमित पाए जाने और फेफड़ों में संक्रमण को देखते हुए जोधपुर के एम्स अस्पताल में रेफर कर दिया गया था, जहां अभी आसाराम का उपचार चल रहा है. लेकिन आसाराम जोधपुर से बाहर हायर सेंटर पर उपचार करवाना चाहता है.
आसाराम आयुर्वेद के जरिए उपचार करवाना चाहते हैं
प्रार्थना पत्र में आसाराम की ओर से कहा गया कि वे अपनी बीमारियों का उपचार आयुर्वेद के जरिए करवाना चाहते हैं, जिसके लिए राजस्थान में कोई हायर सेंटर नहीं है. आसाराम हरिद्वार-ऋषिकेश उत्तराखंड में स्थित आयुर्वेद सेंटर पर उपचार करवाना चाहते हैं, इसीलिए सजा स्थगन करते हुए दो महीने की अंतरिम जमानत मांगी गई है.
आसाराम की ओर से कहा गया कि याची को सीने में दर्द की शिकायत होने पर 17 फरवरी 2021 की रात्रि को भी महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. जोधपुर के आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. अरूण कुमार त्यागी के आयुर्वेद सेंटर पर भी चेकअप करवाया गया था. आरोग्यम आयुर्वेदिक पंचकर्म हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर की ओर से 23 मार्च 2016 की रिपोर्ट के अनुसार आसाराम के शरीर में 12 बीमारियां बताई गई है.
ये है 12 बीमारियां
इसमें शिरोरूक, हनु भेद, दंत भेद, चेहरे, तीव्र वेदना, बोलने एवं चबाने पर वेदना की अनुभूति, कटि पृष्ठ शूल, पाद शूल, जानु शूल, अक्षि कूट शोध, अनिद्रा, लगातार बैठने एवं खड़े रहने पर वेदना और मूत्र प्रवृत्ति बार-बार होने की बीमारियों का उल्लेख किया गया था, जिनक उपचार आयुर्वेद के जरिए हो सकता है.
गौरतलब है कि अपने आश्रम की शिष्या के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में जोधपुर की पॉक्सो अदालत ने 25 अप्रैल 2018 को आसाराम को आजीवन कारावास प्राकृतिक मृत्यु तक की सजा दी गई है. वहीं, सहयोगी शिल्पी और शरद को 20-20 साल की सजा हुई थी. उच्च न्यायालय ने शरद और शिल्पी की सजा स्थगन करते हुए जमानत पर रिहा कर दिया था, लेकिन आसाराम की सजा स्थगन याचिका पर अभी तक सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है. इसी बीच दो बार उन्होंने अंतरिम जमानत के लिए आवेदन किया है.