जोधपुर. सीने में दर्द पर आमतौर पर एंजियोग्राफी करने पर कई बार ब्लॉकेज की लोकेशन लेकर सही जानकारी नहीं मिल पाती, कई बार मरीजों को स्टेंट की आवश्यकता नहीं होने के बावजूद भी खतरे से बचने के लिए लगा दिया जाता है, लेकिन अब एम्स में एक ऐसी तकनीक से एंजियोग्राफी की गई. जिससे ब्लॉकेज की लोकेशन के बारे में स्पष्ट जानकारी भी मिली और इसकी भी सटीक जानकारी मिल गई कि मरीज को स्टेंट लगाने की आवश्यकता है या नहीं.
इस तकनीक को ट्राई रजिस्ट्रेशन (आईवीयूएस-आईएफआर और एनजीओ का - रजिस्ट्रेशन) नाम दिया गया है. इसलिए एम्स में पहली बार 2 रोगियों का उपचार किया गया. एम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र देवड़ा ने बताया कि 52 वर्षीय एक मरीज को सीने में दर्द की शिकायत पर एंजियोग्राफी की गई, लेकिन सीने की कौन सी नस में ब्लॉकेज है, इसका सही पता नहीं लग पाया. इस पर हमने नई तकनीक आईवीयूएस आईएफआर एनजीओ का - रजिस्ट्रेशन की मदद ली, जिससे ब्लॉकेज के साथ ही यह भी पता लग गया कि उन्हें स्टेंट लगाने की आवश्यकता नहीं है.
इसके बाद मरीज का इलाज दवाइयों से किया गया. इसी प्रकार एक 70 वर्षीय मरीज का भी इलाज किया गया. उन्हें वर्ष 2018 में सीने में दर्द के चलते दो स्टेंट लगाए गए थे. हाल ही में फिर से दर्द उठने पर वे एम्स में भर्ती हुए. साथ ही एंजियोग्राफी कराई तो बॉर्डर लाइन ब्लॉकेज पाया गया. फिर नई तकनीक से जांच की तो ब्लॉकेज स्पष्ट दिखाई दिया. इसके बाद उन्हें एक और स्टेंट लगाया गया. अब दोनों मरीज स्वस्थ हैं.