जोधपुर. जहां सरकारी अस्पतालों में थोड़ा बहुत दान करने वाले लोगों में भी फोटो खिंचवाने की होड़ सी मची रहती है. वहीं जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में सिर्फ एक मेल पर कोरोना संकट के समय में एक संस्था ने 70 लाख के वेंटिलेटर भेज दिए. इतना ही अस्पताल और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन इतने बड़े उपकार के बदले आभार लेने भी कोई नहीं आया.
सिर्फ एक मेल पर अमेरिकी संस्था ने भेजे एमडीएम को 5 वेंटिलेटर मार्च के अंतिम सप्ताह से जून के पहले सप्ताह तक वेंटिलेटर पहुंचने की यात्रा भी एक कहानी से कम नहीं है. जिसमें लाखों रुपये के उपकरण देने वाले ने सिर्फ कन्साइनमेंट डिस्पैच होने पर ही कॉल किया. बाकी सब ईमेल से ही सम्पर्क में रहे. मथुरादास माथुर अस्पताल के ट्रामा सेंटर के प्रभारी डॉ. विकास राजपुरोहित बताते हैं कि कोरोना काल में अस्पतालों में उपकरण जुटाने के लिए सरकार को भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. कई तरह के फंड जुटाए जा रहे हैं.
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ऐसे में अमेरिका की संस्था एमी केयर्स ने केवल मात्र ईमेल पर सम्पर्क करने पर वेंटिलेटर उपलब्ध करवा दिए. वह भी 75 लाख की कीमत के अत्याधुनिक वेंटिलेटर भेजे हैं. हालांकि अस्पताल में अब कोरोना के मरीज नहीं हैं, ऐसे में इनका उपयोग ट्रॉमा आईसीयू में किया जा रहा है. ट्रॉमा के प्रभारी डॉ. विकास राजपुरोहित ने बताया कि उन्हें बताया गया था कि एमी केयर्स नामक अमेरिका की संस्था कोविड में अस्पतालों की मदद कर रही है. इसके चलते उन्होंने संस्था को मेल डाल कर वेंटिलेटर की आवश्यकता बताई थी.
डॉ. राजपुरोहित ने बताया कि संस्था की ओर मेल का जवाब मिला. अस्पताल के डेटा मांगे, जो उपलब्ध करवा दिए गए. इसके कई दिन तक कोई मेल नहीं आया. फिर 15 दिन बाद एक मेल आया कि वेंटिलेटर डिस्पैच कर दिए हैं. यह देख कर विश्वास नहीं हुआ. इसके कुछ दिन बाद पहली बार एक कॉल आया कि दिल्ली से वेंटिलेटर रवाना कर दिए हैं. वेंटिलेटर जोधपुर पहुंचने और इंस्टॉल होने तक लगातार सम्पर्क किया.
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डॉ. राजपुरोहित ने बताया कि ऐसा बहुत कम होता है कि सिर्फ मेल पर सम्पर्क करने पर इतनी बड़ी राशि के उपकरण मिलते हैं. डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और एमडीएम अस्पताल प्रबंधन ने संस्था को धन्यवाद मेल भेजा है. डॉ. राजपुरोहित के मुताबिक यह वेंटिलेटर अगले 10 साल तक काम में आएंगे. एक वेंटिलेटर की कीमत 15 लाख रुपये है.