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जोधपुरः राज्य सरकार की मंजूरी के बाद खनन क्षेत्र में गूंजने लगी हथौड़ों की आवाज

जोधपुर के सूरसागर चौपड़ क्षेत्र के खनन क्षेत्र में करीब दो माह बाद हथौड़े और छैनी की आवाज गुंजने लगी है. बता दें, कि यहां का मशहूर छितर का पत्थर उगलने लगी है. मजूदर कपड़ों से मुंह ढके काम करते नजर आने लगे हैं. स्टोन कटर की आवाजें भी शोर कर रही है. शहर से सटे इस इलाके में ही 6500 खाने हैं, जबकि बालेसर क्षेत्र में 6000 खाने हैं.

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खनन क्षेत्र में गूंजने लगी हथौड़ों की आवाज

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Published : May 16, 2020, 1:39 PM IST

Updated : May 17, 2020, 6:05 PM IST

जोधपुर.लॉकडाउन 3.0 लागू होने के साथ सरकार द्वारा खनन कार्य को मंजूरी देने से जोधपुर के सूरसागर चौपड़ क्षेत्र के खनन क्षेत्र में करीब दो माह बाद हथौड़े और छैनी की आवाज गूंजने लगी है.

खनन क्षेत्र में गूंजने लगी हथौड़ों की आवाज

बता दें, कि खाने यहां का मशहूर छितर का पत्थर उगलने लगी है. मजूदर कपड़ों से मुंह ढके काम करते नजर आने लगे हैं. स्टोन कटर की आवाजें भी शोर कर रही है. शहर से सटे इस इलाके में ही 6500 खाने हैं, जबकि बालेसर क्षेत्र में 6000 खाने हैं. पूरे जिले में इस उद्योग से करीब एक लाख मजूदर जुड़े हैं. 60 दिन बाद मजूदर पत्थरों की आखली पर काम करने आने लगे हैं, लेकिन अभी सिर्फ खानों के आस-पास रहने वाले ही पहुंच पा रहे हैं.

दरअसल, ज्यादातर मजूदर ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं. आवागमन के साधन नहीं चलने से मजूदरों की कमी खनन व्यवसाय के लिए परेशानी बनी हुई है. उनका कहना है, कि अगर सरकार जल्द से जल्द ग्रामीण क्षेत्रों से बसों की आवाजाही शुरू कर दे तो यह काम तेजी पकड़ लेगा. इससे सरकार को भी अच्छी खासी राजस्व की प्राप्ति होती है.

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20 लाख रुपए प्रतिदिन सरकार को यहां से राजस्व मिलता है. इसके अलावा जिले में रोजगार का सबसे बड़ा साधन खनन कार्य है. इस व्यवसाय से जुड़े घनश्याम बताते हैं, कि मजूदरों की कमी से काम गति नहीं पकड़ पा रहा हैं. मजदूर मिल जाए तो काम रफ्तार पकड़ लेगा.

गूंजने लगी हथौड़ों की आवाज

व्यसायी किशोरसिंह बताते हैं, कि कोरोना का खौफ इतना है कि जो मजदूर अपनी मोटर साइकिल पर दो से तीन लोग ही आते थे. आज एक ही आ रहा है. किसी दूसरे को साथ नहीं ला रहा है, ऐसे में सार्वजनिक साधन चलना बहुत जरुरी है.

Last Updated : May 17, 2020, 6:05 PM IST

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