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बसों की RC सरेंडर करवाने की याचिका पर अगली सुनवाई 13 जुलाई को - rajastahn news

ऑल इंडिया टूरिस्ट परिमट बस ऑनर्स एसोसिएशन की ओर बसों की आरसी सरेंडर करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दी गई है. जस्टिस मनोज गर्ग की अदालत में याचिका को लेकर सुनावई की गई. सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने इस संबंध में जवाब के लिए दो सप्ताह का समय दिए जाने का अनुरोध किया. मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी.

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बसों की आरसी सरेंडर की याचिका

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Published : Jul 5, 2020, 6:50 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज गर्ग की अदालत में निजी बस ऑपरेटर्स की संस्था ऑल इंडिया टूरिस्ट परिमट बस ऑनर्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई. एसोसिएशन की ओर से अपनी अधिकांश बसों की आरसी सरेंडर करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश जारी करवाने को लेकर याचिका दायर की गई थी. जस्टिस गर्ग की अदालत में सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील बेनीवाल ने इस बारे में जवाब के लिए दो सप्ताह का समय दिए जाने का अनुरोध किया. जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 13 जुलाई को मुकरर्र कर दी.

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एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता राकेश अरोडा ने बताया कि जोधपुर शहर में निजी बस ऑपरेटर्स की ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट की बसों वाले करीब 100 लोगों की सदस्यता वाली एसोसिएशन है, जिनके पास करीब 500 बसें हैं. सामान्य दिनों में बसें फुल चलती है, इसलिए सरकार को टेक्स भुगतान करने में भी आसानी होती है. लेकिन इस आपदा के समय पहले तीन माह बसें खडी रही. अब दिशा निर्देशों और लोगों के घर से बाहर कम निकलने की आदत ने बसों में यात्री नही के बराबर रह गए है. इसी के चलते कई बसों को खडा कर दिया गया है. उनकी आरसी हम सरेंडर करना चाहते हैं.

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लेकिन राज्य के ट्रांसपोर्ट आयुक्त ने सिर्फ उन बसों की आरसी सरेंडर किए जाने की स्वीकृति देने को लेकर सर्कुलर जारी किया है. इसके अनुसार जिन बसों का एक्सीडेंट हो गया हो या फिर मरम्मत में पड़ी हो या सीज कर ली गई हो, केवल एसी बसों के ही आरसी सरेंडर किए जा सकत हैं. इसके अलावा आरसी सरेंडर करने से इंकार कर किया जा रहा है. एसोसिएशन की ओर से करीब 200 से अधिक बसों की आरसी सरेंडर की जाएगी. जिसके आवेदन भी आरटीओ की ओर से नहीं लिए जा रहे हैं. इससे निराश हो कर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. हालांकि, सुनवाई के दौरान एक पीठ में मौखिक रूप से अप्रार्थी सरकार से कम से कम एसोसिएशन के सदस्यों की ओर से आवेदन स्वीकार करने की सलाह दी गयी थी, लेकिन उसे नहीं माना गया.

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